दिल्ली आजकल ब्यूरो , दिल्ली
28 अक्टूबर 2024
वरिष्ठ भाजपा नेता डॉ. विजय जौली – विधायक तीसरी दिल्ली विधानसभा – के नेतृत्व में संगम विहार में दीपावली महिला मंगल मिलन कार्यक्रम आयोजित किया गया. डॉ. जौली के संगम विहार स्थित भारतीय जनता पार्टी कार्यालय में ‘‘महिला सशक्तिकरण व महिला नेत्रियों’’ को सम्मानित किया गया.
इस अवसर पर दीपावली पूजन में गणेश-लक्ष्मी जी की विधिवत पूजा अर्चना सनातन पद्धति द्वारा ज्ञानी पंडित जी द्वारा संपन्न हुई. कार्यक्रम में गीत-संगीत व सभी महिलाओं को डॉ. जौली द्वारा उपहार व मोतीचूर के लड्डू भेंट किये गये. डॉ. जौली ने सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं व्यक्तिगत रूप से दी.
कार्यक्रम में विशेष रूप से उपस्थित विशाल महिला कार्यकर्ताओं सहित दक्षिण दिल्ली जिला भाजपा अध्यक्ष राजकुमार चौटाला, महामंत्री माया बिष्ट, महिला मोर्चा जिला अध्यक्ष समकेश सिद्धू तथा संगम विहार विधानसभा भाजपा मण्डल अध्यक्ष अमित शर्मा विशेष रूप से उपस्थित रहे. कार्यक्रम के आयोजन में सतींद्रा कुमारी, संयोजिका दिल्ली स्ट्डी ग्रुप सोशल मीडिया की विशेष भूमिका रही.
इस अवसर पर भाजपा नेता जौली, जिला अध्यक्ष चौटाला व महिला नेत्रियों ने संगम विहार में पीने के पानी की कमी, टूटी सड़कों व क्षेत्र में फैली गंदगी के लिए आम आदमी पार्टी व दिल्ली सरकार के मुखिया अरविंद केजरीवाल की जमकर भर्त्सना व निंदा की.
]]>दिल्ली आजकल ब्यूरो, दिल्ली
4 मार्च 2024
लोकसभा चुनाव से पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नीत दिल्ली सरकार ने बड़ा ऐलान किया है. दिल्ली के बजट में यह कहा गया है कि दिल्ली सरकार हर महीने दिल्ली की हर महिला को एक हजार रूपये की सम्मान राशि देगी. इस ऐलान के बाद भाजपा की मुश्किल बढ़ती दिख रही है.
दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने इसके लिए महिला सम्मान योजना’ की घोषणा की है. यह माना जा रहा है कि ऐसा कर केजरीवाल सरकार ने आम चुनाव में दिल्ली की महिलाओं को अपने पक्ष में लामबंद करने का प्रयास किया है. केजरीवाल सरकार ने महिलाओं को दिल्ली परिवहन में मुफ्त यात्रा की सुविधा पहले ही दी हुई है. अब हर माह एक हजार रुपए का वादा कर आम चुनाव के मद्देनजर भाजपा की परेशानी बढ़ा दी है.
दिल्ली की वित्त मंत्री आतिशी ने सोमवार को दिल्ली विधानसभा में अपना पहला बजट पेश किया. इस बजट में विभिन्न विकास योजनाओं के साथ ही महिलाओं को हर माह एक हजार रुपए दिए जाने का वादा किया गया है.
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि आज के बजट में दुनिया के सबसे बड़े महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम का ऐलान किया गया है. जिसके तहत हर महिला को हर महीने एक हजार रुपए मिलेंगे. उन्होंने इसके लिए सभी महिलाओं को बधाई भी दी. उन्होंने इस योजना को महिला सशक्तिकरण से जोड़ते हुए कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में लगभग 65 लाख महिला मतदाता हैं. इसमें सरकारी नौकरी करने वाली, करदाता महिला और पेंशन लेने वाली महिलाओं को हटा दिया जाए तो लगभग 45 लाख महिलाओं को यह लाभ मिलेगा.
सरकार की इस योजना के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2024-25 से 18 वर्ष से अधिक उम्र वाली सभी महिलाओं को एक हजार रुपए की राशि हर महीने दिए जाएंगे. करीब 45 लाख महिलाओं को इस योजना का फायदा मिल सकेगा. इस हिसाब से योजना पर करीब 450 करोड़ रुपए प्रति माह खर्च होंगे. साथ ही योजना का लाभ लेने के लिए महिलाओं की आयु 18 साल से अधिक होनी चाहिए
]]>अर्चना चौधरी
दिल्ली आजकल ब्यूरो , दिल्ली
26 नवंबर, 2023
महाराजा अग्रसेन कॉलेज, वसुंधरा एन्क्लेव, दिल्ली में “नारी शक्ति संगम : महिला – कल, आज और कल” का आयोजन किया गया. पूर्वी विभाग के एक दिवसीय ‘महिला – कल आज और कल’ का यह विमर्श कार्यक्रम तीन सत्रों में था. उद्घाटन सत्र का विषय “भारतीय चिंतन में महिला” था. जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में प्रो सुष्मिता पांडे (राष्ट्रीय महिला प्रमुख, अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना समिति) ने बताया कि वैदिक काल से ही भारतीय महिलाओं को आध्यात्मिक अधिकार एवं शैक्षणिक अधिकार प्राप्त थे. कई महिलाएं विदुषी हुई है तथा वेदों में भी उनकी ऋचाएं है. प्रत्येक संस्कृति में कुछ सनातन प्रतिमान होते हैं. जिसको प्रथम धर्माणी भी कहा गया है. वैदिक युग में अनंत की खोज में सभी लोग लगे हुए थे. महिलाएं भी उसमें सहभागी थी. विश्वबारा, मैत्रेयी, गार्गी, अपाला, घोषा इन सब उस युग की विदूषी महिलाओं के नाम हमने सुने हुए हैं. ये सब वैदिक ज्ञान विज्ञान में पारंगत थीं. यही नहीं वैदिक काल की सामान्य स्त्रियाँ भी वैदिक ज्ञान से परिचित थीं. इसलिए वैदिक युग को गरिमामयी काल कहा गया है. इसी तरह उस काल में स्त्रियाँ शास्त्र विद्या के साथ शस्त्र विद्या में भी निपुण होतीं थीं. आज जब हम किसी सभ्यता या संस्कृति का आकलन करते हैं तो उसके मूल्य क्या हैं और वो किस प्रकार से क़ानून में अभिव्यक्त हो रहे हैं.उसको देखना चाहिए. इसलिए सामाजिक मूल्यों और सामाजिक प्रतिमानों से सभ्यता का आकलन करना होता है. सामाजिक तथ्यों से नहीं. क्योंकि प्राचीनतम काल से मानव तो मानव ही है.सभी प्रकार के दोष उसमें भी हैं. वो तथ्य तो रहेंगे ही. लेकिन संविधान क्या है. मूल्य क्या हैं. उसको देखना चाहिए. उससे ही हमको किसी सभ्यता का आकलन करना चाहिए. इसमें भारतीय सभ्यता और संस्कृति सर्वश्रेष्ठ है.
प्रथम सत्र की मुख्य अतिथि कारगिल युद्ध में शहीद महावीर चक्र से सम्मानित योद्धा कैप्टन अनुज नय्यर की माता मीना नय्यर ने बाताया कि नारी खुद में ही बहुत शक्तिशाली है. अपने जीवन से जुड़े आघातों से आगे निकलकर हर परिस्थिति से जूझने के बारे में उन्होंने महिलाओं को बताया.
प्रथम सत्र के पश्चात चर्चा सत्र का आयोजन किया गया. जिसका विषय “वर्तमान में महिलाओं की स्थिति, प्रश्न एवम् करणीय कार्य” थे.
समापन सत्र का विषय “भारत के विकास में महिलाओं की भूमिका” रही. जिसमें मुख्य वक्ता पद्मश्री निवेदिता रघुनाथ भिड़े (राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, विवेकानंद केंद्र, कन्याकुमारी) ने कहा कि हमें स्वयं को काबिल व सक्षम बनाकर हर परिस्थिति का सामना करने वाली महिला हमें बनना है. हमारे देश में अनेकों महिलाओं के ऐसे जीवन चरित्रों को बनाने का काम राष्ट्र सेविका समिति कर रही है. जब हम कोई अच्छा कार्य हाथ में लेते हैं तो अपने आप आत्मशक्ति प्रकट होती है. उस आत्मशक्ति के बल पर हमें अपनी तथा समाज की सुरक्षा करनी है. भारत का हर व्यक्ति दार्शनिक है. लेकिन उससे समाज में तभी प्रभाव पड़ेगा. जब हमारे कृतित्व में वह दर्शन प्रकट है. नारी शक्ति संगम में आई महिलाओं का आहवान करते हुए उन्होंने कहा कि संकल्प लें कि अपनी आत्मशक्ति की अनुभूति करके परिवार समाज राष्ट्र के हित में उसका प्रकटीकरण करेंगी.
पूर्वी दिल्ली की पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) आईपीएस अधिकारी अमृता गुगुलोथ समापन सत्र में मुख्य अतिथि रहीं.अपने ओजपूर्ण संबोधन में उन्होंने कहा कि सभी महिलाओं को अपने अधिकारों के बारे में पता होना चाहिए. क़ानून आपको क्या दे रहा है. आपके लिए क्या कर सकता है. इन सारी बातों को महिलाओं को ज्ञान होना चाहिए. अगर किसी महिला या बालिका के ऊपर कोई मुसीबत आ गयी तो उनको एरिया के पुलिस थाने का पता होना चाहिए. उन्होंने पुलिस सेवा के अनुभव साझा करते हुए बताया कि आए दिन 13 से 17 वर्ष की बालिकों के घर से भागने के केस समाज के लिए बड़ी चिंता का विषय बन गया है. चोकलेट, रोज, टेडी बेयर, बाइक की सवारी के आकर्षण में अबोध बालिकाएं परिणाम के खतरे से अनभिज्ञ अनजान युवको के हाथों अपना भविष्य समाप्त कर देती हैं. ज्यादातर यह निम्न आय वर्ग के घर जहाँ माता पिता दोनों आजीविका के लिए जाते हैं. वहां देखा गया है. इस आयु में बालिकाओं को उनके भविष्य के बारे में नहीं पता होता कि इस कदम से वह आगे कितनी बड़ी मुसीबत में पड़ जाएंगी. इसलिए माताओं तथा महिला संगठनों को इस आयु वर्ग की बालिकाओं की जागरूकता के लिए विशेष प्रयास करने चाहिए.
कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रांत संयोजिका प्रतिमा लाकड़ा , विभाग संयोजिका इन्दु नायर के साथ महिला समन्वय के सभी विभागों की स्त्री शक्ति की भागीदारी रही.
]]>दिल्ली आजकल ब्यूरो , दिल्ली
19 सितंबर 2023
संसद में सरकार की ओर से महिला आरक्षण बिल पेश किये जाने के बाद सभी राजनीतिक दलों ने यह दावा किया है कि उनके दल में महिलाओं को सबसे बेहतर प्रतिनिधित्व मिलता है. लेकिन अगर चुनाव में महिलाओं को हिस्सेदारी देने की बात करें तो इस मामले में देश के सभी राजनीतिक दलों में तृणमूल कांग्रेस सबसे आगे है. जबकि उसके उपरांत बीजू जनता दल ने यह कीर्तिमान हासिल किया है. उसने तो अधिकारिक रूप् से कहा है कि वह महिलाओं को न्यूनतम 33 प्रतिशत टिकट देगा. वहीं, महिलाओं को टिकट देने के मामले में कांग्रेस और भाजपा लगभग एक समान स्थिति में है. हालांकि एकदम न्यूनतम संख्या के आधार पर इस मामले में सत्तारूढ़ भाजपा से कांग्रेस कुछ आगे है. वहीं, पिछले दो आम चुनाव को देखें तो भाजपा को महिलाओं का समर्थन बढ़ा है. वर्ष 2014 में भाजपा को देश की 26 करोड़ महिला मतदाताओं का समर्थन् मिला. यह करीब 29 प्रतिशत मत था. जबकि 2019 में करीब 29 करोड़ महिलाओं ने वोट दिया. यह 36 प्रतिशत वोट था.
वर्ष 2019 के आम चुनाव के दौरान टीएमसी ने 37.1 प्रतिशत महिलाओं को टिकट दिया था. जबकि सीपीएम ने 14.5 प्रतिशत महिलाओं को टिकट दिया था. कांग्रेस और भाजपा के बीच महिला उम्मीदवारों को टिकट देने में मामूली अंतर था. कांग्रेस ने जहां 12.9 प्रतिशत महिला उम्मीदवारों को अपना टिक्ट दिया तो वहीं भाजपा ने 12.6 प्रतिशत महिला प्रत्याशियों पर अपना विश्वास जाहिर किया था. शिवसेना ने वर्ष 2019 के चुनाव में 12.4 प्रतिशत महिलाओं को अपना प्रत्याशी बनाया था. संसद में महिला आरक्षण बिल पेश किये जाने के बाद बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि सरकार को महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देना चाहिए था. लेकिन वर्ष 2019 का चुनाव बताता है कि बसपा ने केवल 6.3 प्रतिशत महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया था.
हालांकि दूसरी ओर, यह एक राहत देने वाली सूचना हो सकती है कि वर्ष 1996 से लेकर 2019 के बीच संसद में महिला सांसदों की उपस्थिति में इजाफा हुआ है. वर्ष 2019 में कुल 78 महिला चुनाव जीतकर संसद पहुंचीं. यह कुल सांसदों का 14.36 प्रतिशत है. जबकि इससे पहले वर्ष 2014 में महिला सांसदों की संख्या 62 थी. जो कुल सांसदों का 11.41 प्रतिशत संख्या थी. वहीं, वर्ष 2014 की बात करें तो महिला सांसदों की संख्या 40 थी. यह 7.33 प्रतिशत था. जबकि 1998 में महिला सांसदों की संख्या 43 और प्रतिशत 7.88 था. इसी तरह से 1999 में महिला सांसदों ने 8.99 प्रतिशत का आंकड़ा दर्ज करते हुए 49 सीटों पर जीत दर्ज की थी. वर्ष 2004 में हालांकि महिला सांसदों की संख्या में कुछ गिरावट दर्ज की गई. इस बार 45 महिलाएं चुनाव जीतकर संसद पहुंची. यह कुल सांसदों का 8.25 प्रतिशत था. लेकिन इसके उपरांत अगले आम चुनाव 2009 में महिला सांसदों की संख्या बढ़कर 59 हो गई. यह कुल सांसदों का 10.82 प्रतिशत था.
ReplyForward |