UAE – Delhi Aaj Kal https://www.delhiaajkal.com Delhi Ki Awaaz Sun, 10 Sep 2023 19:12:30 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://i0.wp.com/www.delhiaajkal.com/wp-content/uploads/2022/11/Black-minimalist-michael-vescera-logo.png?fit=32%2C32&ssl=1 UAE – Delhi Aaj Kal https://www.delhiaajkal.com 32 32 212602069 India’s message to China with the help of G20 https://www.delhiaajkal.com/indias-message-to-china-with-the-help-of-g20/ https://www.delhiaajkal.com/indias-message-to-china-with-the-help-of-g20/#respond Sun, 10 Sep 2023 19:12:27 +0000 https://www.delhiaajkal.com/?p=2480 G20 के सहारे चीन को भारत का संदेश 

दिल्ली आजकल ब्यूरो , दिल्ली 

9 सितंबर 2023

दिल्ली में आयोजित हो रहे जी-20 सम्मेलन के सहारे भारत ने चीन को कई रणनीतिक और कूटनीतिक संदेश दिए हैं. एक ओर जहां यूएई – यूरोप के साथ इकोनामिक कॉरिडोर बनाने का ऐलान कर उसने चीन के सिल्क रोड ( BRI)  का जवाब दिया है. वहीं, जी-20 में अफ्रीकी यूनियन को शामिल कर ग्लोबल साउथ देशों  में चीन के प्रभुत्व को भी आने वाले समय में कम करने का संकेत दिया है. इसके अलावा भारतीय डिजिटल तकनीक को दुनिया के साथ साझा करने का ऐलान कर भारत ने एक अन्य  संकेत भी दिया है. भारत ने यह बताया है  कि वह तकनीकी के मोर्चे पर भी चीन को दुनिया के बाजार में कड़ी प्रतिस्पर्धा देने के लिए तैयार है. 

दुनिया यह जानती है कि चीन ने पिछले 10 से 15 वर्ष के दौरान अफ्रीकी देशों में बड़े स्तर पर निवेश किया है. चीन इन देशों को कर्ज देकर उनके संसाधन पर बड़े स्तर पर अपना आधिपत्य कायम कर रहा है. अफ्रीकी यूनियन के G20 में शामिल होने से अब इन देशों के पास G20 के सदस्य देशों से भी मदद हासिल करने का अवसर उपलब्ध होगा. विश्व बैंक के अलावा कई अन्य वैश्विक संगठन इन देशों को आर्थिक सहायता देने के लिए आगे आएंगे. जिससे अफ्रीकी देशों में चीन का वर्चस्व कम हो सकता है. यह भी संभव है कि आने वाले समय में अफ्रीकी देशों में भारतीय निवेश को बढ़ावा मिले. भारतीय उद्योगपति वहां पर अपने कारोबार का विस्तार करें. ऐसा होने पर अफ्रीकी देशों में भारत एक बड़ी शक्ति के रूप में अपने को स्थापित कर सकता है. जिसका सीधा असर चीन की ताकत पर पड़ सकता है.

इसी तरह से भारत ने यूएई और यूरोप के साथ कनेक्टिविटी एग्रीमेंट का ऐलान कर भी बड़ा संदेश दिया है.  इसके सहारे इन देशों के साथ भारत ने रेल और बंदरगाह का नेटवर्क बनाने का ऐलान कर उद्योग कारोबार के मोर्चे पर भी चीन को बड़ा संकेत दिया है. भारत ने परोक्ष रूप से यह संकेत भी दिया है कि चीन की नीति के खिलाफ संयुक्त अरब अमीरात, यूरोप और अमेरिका उसके साथ खड़े हैं. चीन अपने सिल्क रोड सड़क प्रोजेक्ट के सहारे दुनिया के अधिकतर हिस्सों तक अपनी पहुंच को सुनिश्चित कर रहा है. जिससे उसका माल दुनिया के हर बाजार तक आसानी से पहुंच जाए. उसके कारोबार को विश्व में तेजी से विस्तार हासिल हो. ऐसे में अगर भारत यूएई और यूरोप के साथ मिलकर यूरोप- अमेरिका- इसराइल -जॉर्डन तक अपनी कनेक्टिविटी सुनिश्चित कर लेता है तो भारतीय माल वहां तेजी से पहुंच पाएंगे. जिसका सीधा लाभ भारतीय कारोबार उद्योग जगत को होगा. इससे पश्चिमी देशों के पास भी चीन का माल खरीदने की जगह भारतीय माल खरीदने का विकल्प उपलब्ध हो जाएगा. जिससे कारोबार के मोर्चे पर भी चीन को दुनिया के बाजार में भारत कड़ी प्रतिस्पर्धा दे पाएगा.

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‘ India-UAE-Europe connectivity corridor to be launched, Global Bio Fuel alliance Launched ‘ https://www.delhiaajkal.com/india-uae-europe-connectivity-corridor-to-be-launched-global-biofuel-alliance-to-be-launched/ https://www.delhiaajkal.com/india-uae-europe-connectivity-corridor-to-be-launched-global-biofuel-alliance-to-be-launched/#respond Sun, 10 Sep 2023 18:21:28 +0000 https://www.delhiaajkal.com/?p=2469 भारत—यूएई—यूरोप कनेक्टिविटी कॉरीडोर होगा लांच, ग्लोबल बायोफयूल एलायंस की शुरूआत

दिल्ली आजकल ब्यूरो , दिल्ली 

9 सितंबर 2023

जी—20 सम्मेलन के दौरान दिल्ली में दो महत्वपूर्ण ऐलान किये गए. इनमें से एक भारत—यूएई—यूरोप कनेक्टिविटी कॉरीडोर है. इसके तहत भारत—यूएई—सउदी अरब—यूरोपियन यूनियन—फ्रांस—इटली—जर्मनी और अमेरिका के बीच हवाई मार्ग—रेल—बंदरगाह का नेटवर्क स्थापित किया जाएगा. इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय बायो—फयूल एलायंस का भी ऐलान किया गया. इसके तहत परंपारिक उर्जा स्त्रोत की जगह बायो—गैस आधारित उर्जा इसके सदस्य देश गति देंगे. दुनिया में क्लीन या स्वच्छ उर्जा के क्षेत्र में इससे पहले भारत अंतरराष्ट्रीय सोलर एलायंस की भी स्थापना कर चुका है. भारत का लक्ष्य है कि वह स्वच्छ उर्जा के क्षेत्र में दुनिया का नेतृत्व करे. इन दोनों एलायंस या वैश्विक संगठनों की कमान संभालते हुए भारत ने इस दिशा में कदम भी बढ़ा दिए हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो, अर्जेंटीना के राष्ट्रपति अल्बर्टो फर्नाडीज और इटली के प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी के साथ ‘ग्लोबल बायोफ्यूल्स एलायंस’ का शुभारंभ किया. भारत ने फरवरी में ही यह जानकारी दी थी कि वह सितंबर में आयोजित होने वाले जी—20 सम्मेलन के दौरान इसकी शुरूआत करेगा.यह वैकल्पिक व स्वच्छ ईंधन को बढ़ावा देने का एलायंस है. भारत के साथ ही अमेरिका, ब्राजील इसके संस्थापक सदस्य हैं. इसमें अर्जेंटिना व इटली सहित 11 देश जुड़ गए हैं. कुल 19 देश और 12 अंतरराष्ट्रीय संगठन इससे जुड़ने को लेकर अपनी सहमति दे चुके हैं. कनाडा और दक्षिण अफ्रीका भी इसके साथ आने की सहमति दे चुके हैं. इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि दुनिया के देशों को चाहिए कि वे पेट्रोल—डीजल में 20 फीसदी तक इथेनॉल मिलाने की पहल करें. इसके विकल्प के तौर पर अन्य ब्लेंडिंग मिक्स भी खोजे जा सकते हैं. यह जलवायु सरंक्षण को भी गति देंगे. इस समय अमेरिका 52 प्रतिशत, ब्राजील 30 प्रतिशत और भारत 3 प्रतिशत बायोफयूल का उपयोग करते हैं. यह खादय पदार्थो के साथ ही अन्य गैर उपयोगी पदार्थो से तैयार किया जाता है. जो पर्यावरण के लिए परंपरागत उर्जा की तुलना में काफी सुरक्षित होते हैं.

इस सम्मेलन के दौरान भारत की अध्यक्षता में भारत—यूएई—यूरोप कनेक्टिविटी कॉरीडोर की स्थापना का भी ऐलान किया गया. इस कॉरीडोर के स्थापित होने से भारत से यूएई और यूरोप व अमेरिका के बीच 40 प्रतिशत अधिक तेजी से कारोबार हो पाएगा. यह भारत—यूएई के बीच पुराने मसाला कॉरीडोर को पुर्नस्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है. इसमें भारत—यूएई—सउदी अरब—यूरोपियन यूनियन—फ्रांस—इटली—जर्मनी और अमेरिका के बीच रेल—बंदरगाह मार्ग स्थापित किया जाएगा. भारत को इस कनेक्टिविटी के सहारे यूरोप तक सीधी पहुंच मिलेगी. इस कॉरीडोर में बाद में इजराइल और जॉर्डन को भी जोड़ने की योजना है. हालांकि इजराइल और सउदी अरब के बीच कूटनीतिक संबंध नहीं है. लेकिन अमेरिका—यूरोप और भारत प्रयास करेंगे कि इजराइल व सउदी अरब दोनों इस प्रोजेक्ट में इस तरह से कार्य करे.जिससे उनके कूटनीतिक संंबंध होने की बाध्यता न हो. इस कॉरीडारे के स्थापित होने से भारत से न केवल सामान—पदार्थ का कारोबार इन देशों के साथ बढ़ेगा बल्कि इसके साथ ही पाइपलाइन के सहारे तेल—गैस और वचुर्अली कॉरीडोर से डाटा आदान—प्रदान—कारोबार भी बढ़ेगा. इससे भारतीय पेशेवरों को इस क्षेत्र में आर्थिक रूप से सक्षम इन देशों में रोजगार और कारोबार के बड़े अवसर हासिल होंगे. 

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