बिहार में तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में अलख जगा रहा है मिथिला का संदीप विश्वविद्यालय
दिल्ली आजकल ब्यूरो , दिल्ली
16 दिसंबर 2023
ऐसा माना जाता है कि विकास की पहली सीढ़ी शिक्षा है. एक शिक्षित समाज देश को नई दिशा प्रदान करता है. आज के दौर में तकनीकी शिक्षा का सबसे अधिक महत्व है. ऐसे में यदि देश के दूरदराज इलाकों में तकनीकी शिक्षा का केंद्र स्थापित किया जाए तो युवाओं की तकदीर बदल सकती है. कुछ ऐसा ही बिहार के एक गांव में हो रहा है.
यह दौर उन युवा साथियों की है. जो तकनीकी ज्ञान से लैस होंगे और हर क्षेत्र में पताका लहराएंगे. यदि आप बिहार की बात करेंगे तो महसूस करेंगे कि बड़ी संख्या में युवा तकनीकी शिक्षा हासिल करने के लिए राज्य से बाहर पलायन करते आए हैं. देश के अलग-अलग राज्यों में स्थित निजी तकनीकी विश्वविद्यालयों में बड़ी संख्या में बिहार के छात्र-छात्राएं दाखिला लेते आए हैं. लेकिन कुछ लोग होते हैं. जो अपनी माटी की बेहतरी के लिए बड़ा दांव लगाते हैं. ऐसे ही शख्सियतों में एक हैं डॉ.संदीप झा.
ग्रामीण अंचल में शिक्षा संबंधी आधारभूत संरचना की कमी के कारण गांव के छात्र-छात्राओं को तकनीकी पढ़ाई के लिए अलग-अलग महानगरों की रुख करना पड़ता है. बिहार के मधुबनी जिला स्थित सिजौल जैसे अति पिछड़े क्षेत्र की भी यही कहानी थी. लेकिन डॉ. संदीप के प्रयास से एक बड़ा बदलाव दिखने लगा है.
डॉ. संदीप ने बिहार के मधुबनी जिला में तकनीकी शिक्षा का एक शानदार केंद्र स्थापित किया है. गौरतलब है कि संदीप यूनिवर्सिटी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रणाली पर आधारित सूबे का एक मात्र निजी विश्वविद्यालय है. जिसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से मान्यता मिली हुई है. यह विश्वविद्यालय छात्र-छात्राओं को रोजगारपरक शिक्षा प्रदान किये जाने को प्रतिबद्ध है.
मिथिला के एक ग्रामीण इलाके में एक निजी विश्वविद्यालय की शुरुआत कर डॉ.संदीप ने युवाओं के लिए एक नया रास्ता खोल दिया है. जहां से उनके लिए तकनीकी दुनिया के सारे रास्ते दिखने लगे हैं. इस विश्वविद्यालय से पढ़ाई कर रहे छात्र-छात्राओं को रोजगार परक शिक्षा तो मिलती ही है. साथ ही, जॉब प्लेसमेंट की भी व्यवस्था है.
प्राचीन काल में भी बिहार शिक्षा का महत्वपूर्ण केंद्र हुआ करता था. चाहे वह नालंदा विश्वविद्यालय हो या फिर विक्रमशिला विश्वविद्यालय हो. ये सभी दुनिया भर में प्रसिद्ध थे. ऐसे में डॉ. संदीप ने बिहार के सुदूर इलाके में विश्वविद्यालय की शुरुआत कर बिहार की प्राचीन परंपरा को ही आगे बढ़ाने का काम किया है.