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प्रिंट मीडिया का भविष्य उज्ज्वल, नये आइडिया तलाशने होंगे : हरिवंश
दिल्ली आजकल ब्यूरो , दिल्ली
राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने कहा है कि प्रिंट मीडिया का भविष्य उज्ज्वल है. लोगों का भरोसा भी आज प्रिंट मीडिया पर सबसे अधिक है, लेकिन प्रिंट मीडिया को आगे ले जाने के लिए हमें नये आइडिया और नये रास्ते भी तलाशने होंगे. सामाजिक सरोकार से जुड़े नये मुद्दे पर और अधिक काम करने होंगे.
उक्त बातें दिल्ली के कांस्टीट्यूशनल क्लब में वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष चतुर्वेदी की किताब ‘समाचारों की बिसात’ और वरिष्ठ पत्रकार अनुज कुमार सिन्हा की किताब ‘जमीनी और क्षेत्रीय पत्रकारिता की ताकत’ के लोकार्पण के मौके पर राज्यसभा उपसभापति ने कही .
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उन्होंने कहा कि आशुतोष चतुर्वेदी की किताब अखबार में छपे लेखों का संग्रह है. जिसमें राजनीति, प्रशासन, युवा, महिला, तकनीक और अन्य सभी मुद्दों पर लिखे लेख शामिल हैं. जमीनी और क्षेत्रीय मुद्दों को भी महत्व दिया गया है. वहीं अनुज सिन्हा की किताब में क्षेत्रीय पत्रकारिता के सामने चुनौती और संभावनाओं पर विस्तार से लिखा गया है.
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हरिवंश ने कहा कि आज पत्रकारिता में भी इनोवेशन को अधिक से अधिक महत्व देने की जरूरत है. क्योंकि तकनीक दुनिया को बदल रही है. युवाओं को अधिक से अधिक आगे लाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि यदि लोगों में जज्बा हो, विपरीत परिस्थितियों से लड़ने का पैशन हो, तो सफलता अवश्य मिलती है. उन्होंने जापान का उदाहरण देते हुए कहा कि जापान की कंपनी सोनी के बारे में एक किताब में पढ़ा कि कैसे सोनी ब्रांड बना. एक छोटे से कमरे में सोनी ने एक उपकरण बनाया और उसे बेचने के लिए अमेरिका गया. वहां इसकी काफी मांग होने लगी तो सोनी से कहा गया कि इसे अमेरिकी ब्रांड के नाम से बेचा जाए, लेकिन सोनी ने ऐसा करने से इंकार कर दिया और आज दुनिया में सोनी स्थापित ब्रांड बन चुका है. इसलिये किसी भी चीज के लिए ब्रांड बहुत ही महत्वपूर्ण होता है.
अपने अनुभव को साझा करते हुए हरिवंश ने कहा कि जब वह एक अखबार में काम करते थे(प्रभात खबर) उसकी स्थिति अच्छी नहीं थी. राज्य में कई स्थापित अखबार पहले से मौजूद थे. अखबार के पास न्यूजप्रिंट की भी कमी होती थी. मशीनें काफी पुरानी और आउटडेटेड थी. दक्षिण बिहार में नये अखबार के लिए मार्केट नहीं था. ऐसे में अखबार कैसे चले और आगे बढ़े यह हम सबके सामने बड़ी चुनौती थी. मैनेजमेंट की दृष्टि से मैनपावर 240 था. लेकिन आमदनी नहीं होने से मैनपावर को रखना भी चुनौती थी. लेकिन अखबार के लोगों ने टीम की तरह काम करने का निश्चय किया. अखबार के भविष्य और संभावना पर एक एक्सपर्ट की राय लेने का फैसला लिया और एक्सपर्ट की रिपोर्ट में अखबार बंद करने की बात कही गयी. लेकिन इससे हमारा हौसला नहीं टूटा और आगे बढ़ने का फैसला लिया गया. देश के दूसरे राज्यों में क्षेत्रीय अखबारों की सफलता पर एक अध्ययन किया और फिर आगे बढ़ने का फैसला लिया गया.
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हरिवंश ने अखबारों द्वारा सही मुद्दे उठाने पर जोर देते हुए कहा कि किस तरह से कोई मुद्दा इतना व्यापक बन जाता है कि सरकार और प्रशासन उसे दूर करने का प्रयास करने लगते हैं. अपने पत्रकारिता जीवन का कई उदाहरण देते हुए हरिवंश ने बताया कि रांची में तब एक विधवा महिला एयरपोर्ट के पास सुरक्षित नहीं थी. हमने सामाजिक सरोकार से जुड़ी खबरों को प्राथमिकता देना शुरू किया. एयरपोर्ट के पास एक विधवा महिला की दो लड़कियों के सुरक्षित नहीं रहने के मामले को प्रमुखता से उठाया. कई लोगों ने कहा कि ऐसी खबरें एक साप्ताहिक पत्रिका की होती है. लेकिन यह मुद्दा काफी उठा और वर्ष 1985 में चुनावी मुद्दा बन गया. तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने भी इस मुद्दे को उठाया. इससे साफ जाहिर होता है कि पाठकों के भरोसे से आज भी किसी भी परिस्थिति का सामना किया जा सकता है.