केजरीवाल के खिलाफ वैश्य चेहरे की तलाश में भाजपा , ‘ पूर्वांचली सीएम ‘ उम्मीदवार के रूप में मनोज तिवारी चर्चा में आगे
दिल्ली आजकल ब्यूरो , दिल्ली
29 अक्टूबर 2024
भाजपा ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए चेहरे की तलाश शुरू कर दी है. पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा सामने रखकर सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने का निर्णय किया था. जबकि उससे पहले के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सभी को चौंकाते हुए पूर्व आईपीएस अधिकारी किरन बेदी को मुख्यमंत्री चेहरा घोषित किया था. हालांकि वह अपनी सीट भी नहीं जीत पाई थीं. इस बार भाजपा दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ उनकी ही जाति ‘ वैश्य ‘ वर्ग से किसी उम्मीदवार को बतौर सीएम चेहरा खड़ा करना चाहती है. दूसरे विकल्प के रूप में दिल्ली में ‘ पहला पूर्वांचली मुख्यमंत्री ‘ का दावा चलने पर भी मंथन किया जा रहा है. दिल्ली में पूर्वांचली मतदाताओं की संख्या 40 से 50 लाख के बीच होने का आकलन है. ऐसे में भाजपा को लगता है कि उसका यह दांव उसे दिल्ली की सत्ता में फिर से वापस लाने में कारगर हो सकता है.
सूत्रों के मुताबिक भाजपा दिल्ली में आम आदमी पार्टी के संयोजक और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सामने किसी वैश्य या पूर्वांचली को चेहरा बनाने पर विचार कर रही है. इसकी वजह यह है कि दिल्ली में वैश्य समुदाय हमेशा से भाजपा के पक्ष में मतदान करता रहा है. इसी तरह से पूर्वांचली भी एकतरफा भाजपा के पक्ष में वोट करने वाले माने जाते हैं. यह कहा जा रहा है कि पूर्वांचल से अगर किसी नेता का चयन होता है तो मनोज तिवारी इसमें सबसे आगे रह सकते हैं. इसकी बड़ी वजह यह है कि वह निर्विवाद रूप से दिल्ली और देश में पूर्वांचल का बड़ा चेहरा माने जाते हैं. वह पूर्वांचल और हिंदी सिनेता के गायक और अभिनेता भी रहे हैं. ऐसे में उनके पास अन्य नेताओं के मुकाबले प्रसिद्धी भी अधिक है. अगर भाजपा उनको अपना चेहरा बनाती है तो उसे मनोज तिवारी को स्थापित करने के लिए अलग से कोई मेहनत नहीं करनी होगी. वह तीन बार के सांसद भी हैं. पूर्व में प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं. ऐसे में दिल्ली की समस्या और मुददों से भी परिचित हैं. साथ ही संगठन भी उनको जानता है. वैश्य समुदाय से हालांकि दिल्ली में भाजपा के पास कई नेता हैं. इनमें विजय गोयल से लेकर विजेंद्र गुप्ता तक का नाम शामिल है. लेकिन विजय गोयल और विजेद्र गुप्ता को लेकर कहा जाता है कि गुप्ता समस्त दिल्ली के नेता नहीं है. जबकि गोयल के नाम पर दिल्ली के संगठन से लेकर यहां के कई नेताओं को समस्या हो सकती है. इसके साथ ही उनके अटल—अडवाणी युग के सक्रिय नेता होने का खामियाजा भी मौजूदा संगठन में उठाना पड़ सकता है. दिल्ली में भाजपा के पास इस समय वैश्य समुदाय से प्रवीण खंडेलवाल सांसद हैं. वह देश भर के करीब 7 लाख खुदरा व्यापारियों का संगठन कैट चलाते हैं. वह पुराने नेताओं की तुलना में दिल्ली की राजनीति में नया चेहरा है. ऐसे में उनके प्रशंसक और विरोधी दोनों की संख्या कम है. जिसका लाभ उनको मिल सकता है.