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पुराने कानून की जगह कम धाराएं होंगी भारतीय न्याय संहिता में

इंद्र वशिष्ठ

दिल्ली आजकल ब्यूरो, दिल्ली
21 दिसंबर 2023

भारतीय न्याय संहिता में पुरानी 511 धाराओं की जगह अब केवल 358 धाराएं होंगी. कई अन्य महत्वपूर्ण बदलाव भी किये गए हैं. इसके अलावा अन्य दो कानूनों में भी आमूलचूल पविर्तन किये गए हैं. यहां पर प्रमुख बदलाव की जानकारी को पढ़िये.

भारतीय न्याय संहिता

इसमें 358 धाराएं होंगी  (IPC की 511 धाराओं के स्थान पर)
20 नए अपराधों को जोड़ा गया है.
33 अपराधों में कारावास की सजा को बढ़ाया गया है.
83 अपराधों में जुर्माने की सजा राशि को बढ़ाया गया है.
23 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सजा शुरु की गई है.
6 अपराधों में सामुदायिक सेवा का दंड शुरु किया गया है.
19 धाराएं निरस्त/हटा दी गई हैं.

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता

इसमें 531 सेक्शन होंगे (CrPC की 484 धाराओं के स्थान पर)
कुल 177 प्रोविजन में बदलाव हुआ है.
9 नए सेक्शन, 39 नए सब-सेक्शन जोड़े गए हैं तथा
44 नए प्रोविजन तथा स्पष्टीकरण जोड़े गए है.
35 सेक्शन में टाइमलाइन जोड़ी गई है.
35 जगह पर ऑडियो-विडियो का प्रावधान जोड़ा गया है.
14 धाराएं निरस्त/हटा दी गई हैं.

भारतीय साक्ष्य अधिनियम

इसमें 170 धाराएं होंगी (मूल 167 धाराओं के स्थान पर)
कुल 24 धाराओं में बदलाव किया गया है.
2 नई धारा, 6 उप-धाराएँ जोड़ी गई हैं तथा
6 धाराएँ निरस्त/हटा दी गई हैं.

भारतीय न्याय संहिता

प्रमुख फीचर भारतीय जरूरतों के अनुसार प्राथमिकता ( प्रायोरिटी).
ब्रिटिश शासन को मानव-वध या महिलाओं पर अत्याचार से महत्त्वपूर्ण राजद्रोह और खजाने की रक्षा थी.
इन तीन कानूनों में महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराधों, हत्या और राष्ट्र के विरुद्ध अपराधों को प्रमुखता दी गई है.
इन कानूनों की प्राथमिकता ( प्रायोरिटी) भारतीयों को न्याय देना है. उनके मानवाधिकारों की रक्षा करना  है.

महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराध-

भारतीय न्याय संहिता ने यौन अपराधों से निपटने के लिए ‘महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराध’ नामक एक नया अध्याय पेश किया है. इस विधेयक में 18 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं के बलात्कार से संबंधित प्रावधान (प्रोविजन) में बदलाव का प्रस्ताव कर रहा है. नाबालिग महिलाओं के सामूहिक बलात्कार को पॉक्सो के साथ सुसंगत बनाता है.

18 वर्ष से कम आयु की बच्चियों के मामले में आजीवन कारावास या मृत्यु दण्‍ड का प्रावधान किया गया है.
गैंगरेप के सभी मामलों में 20 साल की सजा या आजीवन कारावास का प्रावधान.
18 वर्ष से कम उम्र की लड़की/ स्‍त्री के साथ सामूहिक बलात्कार की एक नयी अपराध केटेगरी.
धोखे से यौन संबंध बनाने या विवाह करने के सच्‍चे इरादे के बिना विवाह करने का वादा करने वाले व्यक्तियों के लिए लक्षित दंड का प्रावधान करता है.

 आतंकवाद-
भारतीय न्याय संहिता में पहली बार टेररिज्म की व्याख्या की गई है. इसे दंडनीय अपराध बना दिया गया है.
व्याख्या : भारतीय न्याय संहिता खंड 113. (1) “जो कोई, भारत की एकता, अखंडता, संप्रभूता, सुरक्षा या आर्थिक सुरक्षा या प्रभुता को संकट में डालने या संकट में डालने की संभावना के आशय से या भारत में या किसी विदेश में जनता अथवा जनता के किसी वर्ग में आतंक फैलाने या आतंक फैलाने की संभावना के आशय से बमों, डाइनामाइट, विस्फोटक पदार्थों, अपायकर गैसों, न्यूक्लीयर का उपयोग करके ऐसा कार्य करता है. जिससे, किसी व्यक्ति या व्यक्तियों की मृत्यु होती है, संपत्ति की हानि होता है, या करेंसी के निर्माण या उसकी तस्करी या परिचालन तो वह आतंकवादी कार्य करता है.
आतंकी कृत्‍य मृत्‍युदंड या आजीवन कारावास के साथ दंडनीय है. जिसमें पैरोल नहीं होगा.
आतंकी अपराधों की एक श्रृंखला भी पेश की गई है.
सार्वजनिक सुविधाओं या निजी संपत्ति को नष्ट करना अपराध है.
ऐसे कृत्यों को भी इस खंड के तहत शामिल किया गया है. जिनसे ‘महत्वपूर्ण अवसंरचना की क्षति या विनाश के कारण व्यापक हानि’ होती है.

संगठित अपराध (ऑर्गनाइज्ड क्राइम)

संगठित अपराध से संबंधित एक नई दांडिक धारा जोड़ी गई है.
भारतीय न्याय संहिता 111. (1) में पहली बार संगठित अपराध की व्याख्या की गई है.
सिंडिकेट से की गई विधिविरुद्ध गतिविधि को दंडनीय बनाया है.
नए प्रावधानों में सशस्त्र विद्रोह, विध्वंसक गतिविधियां, अलगाववादी गतिविधियां अथवा भारत की संप्रभुता या एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्य को जोड़ा गया है.
छोटे संगठित अपराधों को भी अपराध घोषित किया गया है. जिसके लिए 7 साल तक की कैद हो सकती है. इससे संबंधित प्रावधान खंड 112 में हैं.

आर्थिक अपराध की व्याख्या भी की गई है : करेंसी नोट, बैंक नोट और सरकारी स्टापों का हेरफेर, कोई स्कीम चलाना या किसी बैंक/वित्तीय संस्था में गड़बड़ ऐसे कृत्य शामिल है.
संगठित अपराध में, किसी व्यक्ति की मृत्यु हो गई है, तो आरोपी को मृत्यु दंड या आजीवन कारावास की सजा
जुर्माना भी लगाया जाएगा, जो 10 लाख रुपये से कम नहीं होगा.
संगठित अपराध में सहायता करने वालों के लिए भी सजा का प्रावधान किया गया है.

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