कनाडा ने भारत से अपने डिप्लोमेट्स कम करने शुरू किये
दिल्ली आजकल ब्यूरो, दिल्ली
7 अक्टूबर 2023
कनाडा और भारत के बीच रिश्तों के तनावपूर्ण होने के बीच कनाडा ने नई दिल्ली स्थित अपने दूतावास से अपने राजनयिकों की संख्या को कम करना शुरू कर दिया है. यह कहा जा रहा है कि कनाडा ने भारत के इस मामले में कड़े रूख को देखते हुए अपने अतिरिक्त् राजनयिकों को दूसरे देशों में तैनाती देनी शुरू कर दी है.
सूत्रों के मुताबिक कनाडा ने अपने कई राजनयिकों को सिंगापुर और कुआलालंपुर में तैनात करने के आदेश जारी कर दिए हैं. भारत ने हाल ही में दो टूक कहा था कि कनाडा को भारत में उतने ही राजनयिक रखने होंगे. जितने भारतीय राजनयिक इस समय कनाडा में है. इस मामले में समानता की जरूरत है. भारत ने कनाडा को उसके 41 राजनयिकों को त्वरित आधार पर भारत से बाहर तैनात करने के लिए कहा था. भारत का कहना है कि कनाडा ने भारत में उसकी निर्धारित संख्या से करीब तीन गुणा अधिक राजनयिकों को तैनात किया हुआ है. जबकि वह कनाडा में भारत को अपने राजनयिकों की संख्या को सीमित रखने पर विवश करता है.
यह कहा जा रहा है कि कनाडा ने भारत सरकार को कहा था कि उसे नई दिल्ली स्थित अपने दूतावास में अधिक राजनयिकों की जरूरत है. इसकी वजह यह है कि भारत से बड़ी संख्या में पर्यटक कनाडा जाते हैं. इसके अलावा लाखों भारतीय छात्र भी रह साल पढ़ने के लिए कनाडा जाते हैं. कनाडा में रहने वाले भारतीयों और भारत मूल के रिश्तेदार भी वहां जाते हैं.जिससे उस पर वीजा संबंधी औपचारिकताओं का दबाव रहता है. इसके लिए उसे अधिक राजनयिकों की जरूरत होती है. लेकिन भारत ने कहा कि वीजा समस्या का हल कैसे करना है. यह कनाडा का आंतरिक मामला है. अगर वह हमारे राजनयिकों की संख्या सीमित करता है तो उसे भी इसी तरह की समानता रखनी होगी.
दोनों देश के बीच पिछले एक महीन के दौरान रिश्ते काफी खराब हुए हैं. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अपने देश में हुए एक खालिस्तानी समर्थक निज्जर की हत्या का आरोप भारत पर लगाते हुए कहा था कि भारत उनके आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप कर रहा है. भारत ने इसका कड़ा प्रतिकार करते हुए कहा कि वह किसी भी देश के आतंरिक मामलों में दखल देने की नीति का विरोधी रहा है. जहां तक कनाडा की बात है तो उसने अपने देश केा खालिस्तानी आतंकवादियों के लिए स्वर्ग बनाकर रखा है. यहां से खालिस्तानी आतंकी लगातार भारत विरोधी गतिविधि चला रहा है. लेकिन कनाडा उस पर चुप है. उसे इस तरह की गतिविधियों पर तुरंत रोक लगाने की जरूरत है.