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मध्यप्रदेश में जीत के लिए उतारे गए भाजपा के बड़े चेहरो को भी चाहिए प्रधानमंत्री की रैली का सहारा

दिल्ली आजकल ब्यूरो, दिल्ली
2 अक्टूबर 2023

भाजपा ने मध्यप्रदेश के लिए जारी अपनी दूसरी सूची से सभी को चौंकाते हुए अपने केद्रीय मंत्रियों, महासचिव और सांसदों को मैदान में उतार दिया. जिन लोगों के नाम इस सूची में घोषित किये गए. उन्होंने भी कहा कि वह स्वयं अपने नाम देखकर हैरान है. इसकी वजह यह है कि उनको भी इसकी भनक तक नहीं थी. भाजपा ने इन नामों को तुरूप का पत्ता करार दिया और कहा कि इनके आने से न केवल इनकी बल्कि आस—पास की कई अन्य सीट के उम्मीदवारों को भी ताकत मिलेगी. जिससे भाजपा को हर क्षेत्र में बढ़त हासिल होगी. लेकिन इस बीच यह सूचना सामने आ रही है कि जिन दिग्गजों के नाम भाजपा ने अपनी दूसरी सूची में जारी किये हैं. उन्होंने भी अपने क्षेत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की रैली को लेकर अनुरोध करना शुरू कर दिया है. जिससे रैली के सहारे जनता का आशीर्वाद उनको मिल पाए.

सूत्रों के मुताबिक दूसरी सूची में शामिल दिग्गज नेताओं ने राज्य के चुनाव से जुड़े पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से अनुरोध किया है कि उनके इलाके में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री की रैली आयोजित कराई जाए. उनके इलाके को केवल इसलिए नहीं छोड़ दिया जाए कि वह बड़े नेता हैं. उनके इलाके में प्रधानमंत्री या गृह मंत्री के आने का असर नजदीक की विधानसभाओं पर भी होगा. ऐसे में उनके क्षेत्र में रैली जरूर कराई जाए. यह माना जा रहा है कि इन नेताओं ने जमीनी माहौल को देखते हुए इस तरह का अनुरोध किया है. उन्हें अपने जीतने का यकीन है. लेकिन माहौल देखते हुए उन्हें अपनी जीत के आंकड़े को लेकर चिंता सता रही है. वह नहीं चाहते हैं कि उनकी जीत का आंकड़ा मामूली रहे. जिससे आने वाले समय में भाजपा के सरकार बनाने की स्थिति उत्पन्न होने पर उन्हें अपने मुख्यमंत्री बनने के दावे में किसी तरह की समस्या हो. हालांकि पार्टी के अंदर कुछ नेताओं का यह भी मानना है कि ‘ ज्यादा जोगी— मठ उजाड़ ‘ वाली स्थिति उत्पन्न न हो जाए. राज्य में इतने बड़े चेहरों को उतारा जा रहा है. जिससे उनके बीच ही प्रतिद्धंदता उत्पन्न हो सकती है. अगर अगली सूची में ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी विधानसभा चुनाव में उतार दिया जाता है तो करीब आधा दर्जन ऐसे चेहरे हो जाएंगे. जो मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल हो जाएंगे. ऐसे में अगर एक—दूसरे को निपटाने की राजनीति शुरू हो गई तो बड़े चेहरो को उतारने की रणनीति पर भी विपरीत असर पड़ सकता है. यही नहीं, बड़े नेताओं के यहां रैली आयोजित करने का असर सकारात्मक होगा या फिर नकारात्मक रहेगा. यह भी भविष्य में देखना रोचक होगा.

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