भारत सरकार के सामने उत्पन्न हुई मुश्किल स्थिति, अफगानिस्तान दूतावास में तालिबानी राजदूत की नियुक्ति पर उत्पन्न हो सकता है राजनयिक संकट

दिल्ली आजकल ब्यूरो , दिल्ली
29 सितंबर 2023

भारत स्थित अफगानिस्तान दूतावास को लेकर भारत सरकार के सामने संकट उत्पन्न होता दिख रहा है. इसकी वजह यह है कि अफगानिस्तान दूतावास ने कहा है कि वह संसाधनों की कमी की वजह से दूतावास बंद करना चाहते हैं. दूतावास के अधिकारियों ने कहा है कि उन्हें तालिबान सरकार से कोई भी आर्थिक मदद नहीं मिल रही है. ऐसे में दूतावास का संचालन करना मुश्किल है. इस समय अफगानिस्तान दूतावास में वही अधिकारी हैं. जिनकी नियुक्ति पूर्व की अब्दुल गनी सरकार ने की थी. ऐसे में अगर यह अधिकारी दूतावास बंद कर चले जाते हैं तो अफगानीस्तान की तालिबान सरकार यहां पर अपने किसी अधिकारी को दूतावास संचालन के लिए भेज सकती है. वह अपना राजदूत भी नियुक्त कर सकती है. जबकि भारत ने फिलहाल तक अफगानिस्तान को राजनयिक मानता नहीं दी है. लेकिन एक बार तालिबान सरकार की ओर से नियुक्त राजदूत के आने के बाद भारत में आधिकारिक रूप से तालिबान के नेतृत्व वाला राजदूत नियुक्त हो जाएगा. जिससे परोक्ष रूप से भारत की ओर से तालिबान की ओर से भेजे गए राजदूत को भी मान्यता हासिल हो जाएगी. यह भारत के लिए सबसे बड़ी उलझन का विषय बन गया है.

अफगानिस्तान में अगस्त 2021 में तालिबान के सरकार में आने के बाद से भारत स्थित अफगानिस्तान दूतावास में उथल-पुथल का माहौल बना हुआ है. तालिबान सरकार ने भारतीय दूतावास स्थित अपने कारोबार अधिकारी कादर शाह को भारत का राजदूत घोषित कर दिया था. लेकिन भारत स्थित अफगानिस्तान दूतावास के अधिकारियों ने इसे मानने से इनकार कर दिया. उन्होंने अब्दुल गनी के शासनकाल में नियुक्त राजदूत फरीद ममुंडज़े को ही राजदूत करार देते हुए शाह का विरोध किया. इसके उपरांत से ही तालिबान सरकार ने अफगानिस्तान दूतावास को आर्थिक मदद में कटौती करनी शुरू कर दी. इस बीच कादर शाह भी भारत से बाहर चले गए.

इस बीच अफगानिस्तान दूतावास ने भारत सरकार को एक पत्र लिखा. जिसमें उसने कहा कि उसे तालिबानी झंडे की जगह दूतावास में अफगानिस्तान के मूल झंडे को लगाने के इजाजत दी जाए. इसके अलावा अफगानिस्तान दूतावास ने भारत सरकार से यहां पर मौजूद अधिकारियों और कर्मचारियों को एग्जिट वीजा देकर देश छोड़ने की इजाजत देने का भी आग्रह किया. इसके साथ ही अफगानिस्तान दूतावास ने 3000 अफगानी छात्रों को भारत में पढ़ने के लिए स्टडी वीजा देने की भी मांग की. अफगानिस्तान दूतावास का कहना है कि भारत सरकार ने इस पर कोई भी जवाब नहीं दिया. उसने इसे लंबित रखा. इस बीच अफगानिस्तान दूतावास में मौजूद राजदूत फरीद ममुंडज़े लंदन चले गए. यह कहा जा रहा है कि उन्होंने वहां पर शरण हासिल कर लिया है. इसी तरह से भारत स्थित अफगानिस्तान दूतावास के कई अन्य अधिकारियों ने भी दूसरे देशों में शरण हासिल कर ली. जबकि यहां पर बचे हुए शेष अधिकारियों और कर्मचारियों ने भी भारत से बाहर जाकर किसी तीसरे देश में शरण लेने का निर्णय कर लिया है. भारत स्थित अफगानिस्तान दूतावास का कहना है कि तालिबान सरकार की ओर से उन्हें कोई भी आर्थिक मदद दूतावास संचालन के लिए नहीं दी जा रही है. ऐसे में उनके पास दूतावास बंद करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.

भारत में अफगानिस्तान दूतावास के बंद होने संबंधी सवाल पर विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने कहा है कि यह उनकी आपसी लड़ाई का नतीजा है. दूतावास के अंदर आपसी लड़ाई चरम पर है. इसके अलावा भारत में अफगानिस्तान के राजदूत भी लंबे समय से भारत से बाहर है. यहां के कई अधिकारियों और कर्मचारियों ने दूसरे देशों में शरण हासिल कर ली है. भारत इस मामले में अफगानिस्तान दूतावास की ओर से सामने आए कथित पत्र की विषय वस्तु की प्रमाणिकता की जांच कर रहा है. भारत सरकार स्थिति पर नजर बनाए हुए है. इससे संबंधित कोई भी आधिकारिक बयान पूर्ण पुष्टि के बाद ही जारी किया जाएगा.

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