इंडिया गठबंधन के साथ चले जाएंगे पशुपति कुमार पारस
दिल्ली आजकल ब्यूरो , दिल्ली
27 सितंबर 2023
ऐसे समय में जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एनडीए में आने को लेकर फिर से चर्चा हो रही है. भाजपा के बिहार से एक प्रमुख सहयोगी और इस समय केंद्र सरकार में मंत्री पशुपति कुमार पारस के आने वाले समय में इंडिया गठबंधन में जाने की अटकलें शुरू हो गई है. उनका अपने भतीजे और सांसद चिराग पासवान के साथ हाजीपुर सीट को लेकर झगड़ा चल रहा है. इस समय चिराग पासवान जमुई सीट से सांसद हैं.लेकिन वह अगला चुनाव अपने पिता की परंपरागत सीट रही हाजीपुर से लड़ना चाहते हैं. जबकि इस समय पारस वहां से सांसद हैं. यह माना जा रहा है कि पारस और चिराग के बीच यह सीट प्रतिष्ठा की सीट बन गई है. ऐसे में अगर सीट बंटवारे में भाजपा ने यह सीट पारस को नहीं दी तो वह इंडिया गठबंधन में जा सकते हैं.
सूत्रों के मुताबिक पशुपति कुमार पारस ने हाल ही में नीतीश कुमार के एनडीए में आने को लेकर बयान दिया. जिसमें उन्होंने कहा कि अगर नीतीश कुमार एनडीए में आते हैं तो उनका स्वागत है. यह माना जा रहा है कि पारस ने यह बयान नीतीश कुमार में एनडीए में आने के लिए नहीं दिया था. वह इस बयान के बहाने भविष्य में अपने लिए इंडिया गठबंधन में जगह बनाने का प्रयास कर रहे थे. बिहार में जातिगत राजनीति को ध्यान में रखते हुए भाजपा राज्य की उन सभी छोटी पार्टियों को अपने साथ रखना चाहती है. जिसका अपनी जाति पर प्रभाव है. यही वजह है कि उसने यहां की लगभग सभी छोटी पार्टियों को अपने गठबंधन में शामिल कर लिया है. इन दलों में लोक जनशक्ति पार्टी के दोनों धड़े चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस गुट शामिल हैं. भाजपा का आकलन है कि दोनों के साथ आने से पासवान वोट एकमुश्त एनडीए को मिल सकता है. लेकिन इस बीच चाचा पशुपति कुमार पारस और भतीजे चिराग पासवान के बीच रामविलास पासवान की विरासत का प्रतीक हाजीपुर सीट को लेकर झगड़ा इतना बढ़ गया है कि पारस ने दो टूक कहा है कि उनके दिल में चिराग के लिए कोई जगह नहीं है. यही नहीं, उन्होंने यह भी कहा कि कुछ भी हो जाए. वह हाजीपुर से चुनाव लड़ेंगे. जबकि चिराग ने भी इस सीट पर दावा ठोंक दिया है. जिस तरह से भाजपा की ओर से चिराग पासवान को तवज्जों दी जा रही है. उसे देखते हुए यह माना जा रहा है कि भाजपा अंत में हाजीपुर सीट को लेकर चिराग को समर्थन दे सकती है. ऐसे में पारस ने इस समय से इंडिया गठबंधन को भी साधने का प्रयास शुरू कर दिया है. जिससे जरूरत होने पर वह अपने गुट के सांसदों के साथ इंडिया गठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ पाएं.