G20 के सहारे चीन को भारत का संदेश
दिल्ली आजकल ब्यूरो , दिल्ली
9 सितंबर 2023
दिल्ली में आयोजित हो रहे जी-20 सम्मेलन के सहारे भारत ने चीन को कई रणनीतिक और कूटनीतिक संदेश दिए हैं. एक ओर जहां यूएई – यूरोप के साथ इकोनामिक कॉरिडोर बनाने का ऐलान कर उसने चीन के सिल्क रोड ( BRI) का जवाब दिया है. वहीं, जी-20 में अफ्रीकी यूनियन को शामिल कर ग्लोबल साउथ देशों में चीन के प्रभुत्व को भी आने वाले समय में कम करने का संकेत दिया है. इसके अलावा भारतीय डिजिटल तकनीक को दुनिया के साथ साझा करने का ऐलान कर भारत ने एक अन्य संकेत भी दिया है. भारत ने यह बताया है कि वह तकनीकी के मोर्चे पर भी चीन को दुनिया के बाजार में कड़ी प्रतिस्पर्धा देने के लिए तैयार है.
दुनिया यह जानती है कि चीन ने पिछले 10 से 15 वर्ष के दौरान अफ्रीकी देशों में बड़े स्तर पर निवेश किया है. चीन इन देशों को कर्ज देकर उनके संसाधन पर बड़े स्तर पर अपना आधिपत्य कायम कर रहा है. अफ्रीकी यूनियन के G20 में शामिल होने से अब इन देशों के पास G20 के सदस्य देशों से भी मदद हासिल करने का अवसर उपलब्ध होगा. विश्व बैंक के अलावा कई अन्य वैश्विक संगठन इन देशों को आर्थिक सहायता देने के लिए आगे आएंगे. जिससे अफ्रीकी देशों में चीन का वर्चस्व कम हो सकता है. यह भी संभव है कि आने वाले समय में अफ्रीकी देशों में भारतीय निवेश को बढ़ावा मिले. भारतीय उद्योगपति वहां पर अपने कारोबार का विस्तार करें. ऐसा होने पर अफ्रीकी देशों में भारत एक बड़ी शक्ति के रूप में अपने को स्थापित कर सकता है. जिसका सीधा असर चीन की ताकत पर पड़ सकता है.
इसी तरह से भारत ने यूएई और यूरोप के साथ कनेक्टिविटी एग्रीमेंट का ऐलान कर भी बड़ा संदेश दिया है. इसके सहारे इन देशों के साथ भारत ने रेल और बंदरगाह का नेटवर्क बनाने का ऐलान कर उद्योग कारोबार के मोर्चे पर भी चीन को बड़ा संकेत दिया है. भारत ने परोक्ष रूप से यह संकेत भी दिया है कि चीन की नीति के खिलाफ संयुक्त अरब अमीरात, यूरोप और अमेरिका उसके साथ खड़े हैं. चीन अपने सिल्क रोड सड़क प्रोजेक्ट के सहारे दुनिया के अधिकतर हिस्सों तक अपनी पहुंच को सुनिश्चित कर रहा है. जिससे उसका माल दुनिया के हर बाजार तक आसानी से पहुंच जाए. उसके कारोबार को विश्व में तेजी से विस्तार हासिल हो. ऐसे में अगर भारत यूएई और यूरोप के साथ मिलकर यूरोप- अमेरिका- इसराइल -जॉर्डन तक अपनी कनेक्टिविटी सुनिश्चित कर लेता है तो भारतीय माल वहां तेजी से पहुंच पाएंगे. जिसका सीधा लाभ भारतीय कारोबार उद्योग जगत को होगा. इससे पश्चिमी देशों के पास भी चीन का माल खरीदने की जगह भारतीय माल खरीदने का विकल्प उपलब्ध हो जाएगा. जिससे कारोबार के मोर्चे पर भी चीन को दुनिया के बाजार में भारत कड़ी प्रतिस्पर्धा दे पाएगा.