दिल्ली आजकल ब्यूरो, दिल्ली
14 मई 2023
वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी और कवि तजेंद्र सिंह लूथरा की नई पुस्तक एक नया ईश्वर का लोकार्पण इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में हुआ. यह तजेंद्र सिंह लूथरा की दूसरी पुस्तक है. यह छोटी और बड़ी कविताओं का एक ऐसा संग्रह हे. जिसमें हर कविता पाठक को अंदर तक झकझोरनपे के साथ ही सोचने पर विवश करती है. वाणी प्रकाशन की ओर से प्रकाशित इस पुस्तक की प्रस्तावना वरिष्ठ फिल्म गीतकार और कवि गुलजार ने लिखी है. उन्होंने लिखा है कि पढ़ने से ज्यादा महसूस करने वाली नज्में. गुलजार के इन शब्दों से बयां हो जाता है कि तजेंद्र सिंह लूथरा की यह पुस्तक क्यों पढ़नी चाहिए.
पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम का संचालन ओम निश्चल ने किया. जबकि पुस्तक पर चर्चा के लिए वरिष्ठ लेखक प्रयाग शुक्ल, गगन गिल, प्रो सुधा उपाध्याय , प्रताप राव कदम और वरिष्ठ पत्रकार बलवीर पुंज उपस्थित थे. तजेंद्र सिंह लूथरा, जो दिल्ली काडर के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी हैं और वर्तमान में डीजीपी रैंक पर तैनात हैं, उनको लेकर परिचर्चा में शामिल वक्ताओं ने कहा कि उनकी कविताओं को पढ़ने के बाद कोई यह नहीं कह सकता है कि एक पुलिसवाले ने यह लिखी होगी. इसके अलावा उनके साथ जुड़ी हुई एक खास बात यह भी है कि उनको अपनी पुस्तक प्रकाशित करने का कोई मोह नहीं है. यही वजह है कि उनकी दूसरी पुस्तक लगभग दस साल बाद आई है. जिससे यह साफ होता है कि वह केवल अपने हृदय से आती आवाज को लिपिबद्ध करने के बाद ही पुस्तक का रूप देना चाहते हैं. वक्ताओं ने कहा कि उन्होंने वर्ष 2008 के मुंबई हमले के बाद कविता लिखना शुरू किया. वह इस बात से इतने मर्माहत थे कि इतने लोगों को बे-वजह मार दिया गया. जिसमें बड़ी संख्या में पुलिसवाले भी थे. अपने दर्द और पीड़ा को उन्होंने लेखनी के माध्यम से दुनिया के सामने रखने का प्रयास किया. जिसने देश और दुनिया को एक संवेदनशील हृदय रखने वाले नए कवि से परिचित कराया.
इस अवसर पर तजेंद्र सिंह लूथरा ने कहा कि जब आतंकवादियों ने 2008 में मुंबई पर हमला किया. जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए. जिसमें पुलिसवाले भी बड़ी संख्या में शामिल थे. उस समय मैं विचलित हो गया. मैंने सोचा कि डयूटी के लिए घर से निकले पुलिसकर्मी और अन्य लोगों के परिजनों के उपर क्या बीत रही होगी. कैसे उनका परिवार आने वाले कई दिनों, महीनों या वर्षो तक इस पीड़ा से जूझते रहेंगे. यह सभी कुछ सोचते हुए मैंने अपने मन के अंदर उभर रहे विचारों-संवेदनाओं को लिखना शुरू किया. जो बाद में कविता संग्रह के रूप में सामने आया. मैंने हर रस की कविता लिखने का प्रयास किया. लेकिन उनका लक्ष्य यही है कि लोगों तक मेरी भावना और सोच पहुंचे. वह कविताओं के माध्यम से मेरी भावना के साथ संवाद करें. मेरी चार लाइन की कविता हो या दो पन्ने की लंबी कविता हो. मैं प्रयास करता हुं कि उनके माध्यम से आम पाठक और जन सामान्य के बीच एक संदेश जाए. तजेंद्र लूथरा ने इस अवसर पर खचाखस भरे हाॅल को देखकर कहा कि इस तरह का स्नेह और प्यार देखकर वह अपने उपर और अधिक जिम्मेदारी महसूस करते हैं. श्रोताओं-पाठकों का यही स्नेह और प्यार उनको लिखने केलिए प्रेरित करता है. इस अवसर पर तजेंद्र सिंह लूथरा ने अपनी कुछ कविताओं का पाठ भी किया.
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