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संदीप जोशी, दिल्ली, 23 September 2022

केंद्र सरकार जल्द ही नया टेलीकॉम कानून लाने की तैयारी कर रही है. इससे संबंधित बिल का प्रारूप दूरसंचार मंत्रालय ने सार्वजनिक कर दिया है. इस पर जनता से 20 अक्टूबर तक सलाह-आपत्ति मांगी गई है. इसके उपरांत इस बिल को संसदीय समिति के समक्ष रखा जाएगा. उसकी सिफारिशों के अनुरूप इसमें बदलाव किया जा सकता है. जिसके उपरांत इसे संसद में पेश कर कानून की शक्ल दी जाएगी. नए प्रस्तावित टेलीकॉम कानून के तहत मैसेजिंग और ओटीटी प्लेटफार्म को भी लाइसेंस लेना अनिवार्य होगा. ऐसा होने पर व्हाट्सएप से की जाने वाली कॉल के लिए पैसे देने पड़ सकते हैं. इसके साथ ही नए प्रस्तावित कानून में हर कॉलर की पहचान उजागर करने का नियम भी लाया जा रहा है. इसका लाभ यह होगा कि ट्रू-कॉलर या इस जैसी किसी अन्य ऐप का प्रयोग किए बिना ही कॉल रिसीव करने वाले को यह पता लग जाएगा कि कॉल कौन कर रहा है. इससे बड़े स्तर पर साइबर फ्रॉड और ऑनलाइन ठगी के मामलों पर भी लगाम लगाने में मदद हासिल हो सकती है. दूरसंचार मंत्री अश्वनी वैष्णव ने कहा कि नया कानून 8-10 महीने में आ सकता है

दूरसंचार मंत्री अश्वनी वैष्णव ने कहा कि टेलीकॉम क्षेत्र में सुधार और बेहतरी के लिए नया कानून मील का पत्थर साबित होगा. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्पष्ट निर्देश है कि उपभोक्ताओं को अधिक सुविधाएं और अधिकार दिए जाएं. इसके साथ ही टेलीकॉम क्षेत्र को भी अनावश्यक कानूनों से मुक्त किया जाए. वही, सभी के लिए समान अवसर भी उपलब्ध कराए जाएं. प्रधानमंत्री के इन तीन मूल मंत्रों पर नया कानून पूरी तरह से अमल करेगा. उन्होंने कहा कि हर उपभोक्ता को यह जानने का हक है कि उसे कौन कॉल कर रहा है. ग्राहकों को ‘राइट टू नो’ का अधिकार होगा. जब भी किसी व्यक्ति के पास कोई कॉल आएगा. उसे यह पता होगा कि कॉल करने वाला कौन है. यह माना जा रहा है कि इस नई सुविधा का एक लक्ष्य साइबर और ऑनलाइन ठगी पर रोक लगाना है. यह आए दिन सामने आता है कि फर्जी कॉल कर साइबर ठग लोगो के बैंक अकाउंट से पैसा निकाल लेते हैं. ऐसे में जब वह देखेंगे कि कोई ऐसा व्यक्ति कॉल कर रहा है. जिसका नाम उनकी फोन बुक में नहीं है. वह संदिग्ध लग रहा है तो फिर आम उपभोक्ता ऐसी कॉल से सजग और सतर्क रहेंगे.

नए प्रावधान में ओटीटी और मैसेजिंग प्लेटफार्म को भी लाइसेंस लेना होगा. इससे OTT सेवा देने वाली कंपनियों पर भी वही नियम प्रभावी होंगे. जो टेलीकॉम कंपनियों पर होते हैं. इसी तरह से व्हाट्सएप, जूम या स्काइप जैसी सेवाओं को भी नियमों के दायरे में आना होगा. उन्हें लाइसेंस फीस चुकानी होगी. यह संभव है कि इन कंपनियों पर जब लाइसेंस फीस प्रभावी होगा. उस समय वह उपभोक्ता से अपनी सेवा के बदले कुछ शुल्क ले या फिर किसी तरह की विशेष मेंबरशिप योजना लेकर सामने आए. हालांकि यह देखना रोचक होगा कि यह कंपनियां किस तरह का कदम उठाती है. इसकी वजह यह है कि इस समय भी जब हम व्हाट्सएप के सहारे कॉल करते हैं. उस समय डाटा शुल्क के रूप में पैसा चुकाते है. नए कानून में टेलीकॉम कंपनियों को एक बड़ी राहत दी जा रही है. अगर कोई कंपनी अपना स्पेक्ट्रम वापस करती है तो उसे लाइसेंस फीस वापस दिया जा सकता है. इसी तरह से सरकार अगर चाहेगी तो किसी कंपनी के लाइसेंस की फीस पूर्णता या आंशिक रूप से माफ कर सकती है. ऐसा होने पर टेलीकॉम कंपनियां अपने ग्राहकों को सस्ती टेलीकॉम सेवा भी दे सकती है. इसी तरह से सरकार ने नए टेलीकॉम कानून में कई तरह के जुर्माना और अन्य तरह के प्रावधानों को भी खत्म करने का निर्णय किया है. जिससे टेलीकॉम कंपनियों को काफी राहत हासिल होगी. दूरसंचार मंत्री अश्वनी वैष्णव ने कहा कि सरकार अपनी ओर से इंडस्ट्री को हरसंभव राहत देने का प्रयास कर रही है. उन्हें भी ग्राहकों को बेहतर सेवा उपलब्ध करानी होगी. इसके लिए सेवा गुणवत्ता नियमों में भी परिवर्तन प्रस्तावित है. इसे मौजूदा मानक के मुकाबले 3 से 4 गुना तक अधिक किया जाना प्रस्तावित है. जिससे ग्राहकों को निर्बाध सेवा मिल सके.

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