प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से फिर से उत्तराखंड से लेकर दुनिया में शुरू हुआ लोक पर्व ‘ इगास ‘ का आयोजन – अनिल बलूनी
दिल्ली आजकल ब्यूरो , दिल्ली
11 नवंबर 2024
उत्तराखंड से सांसद और भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया सेल के प्रमुख अनिल बलूनी के दिल्ली स्थित सरकारी निवास पर उत्तराखंड के लोक लोक पर्व ‘ इगास ‘ का आयोजन किया गया. इसे बूढ़ी दिवाली भी कहा जाता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां पहुंचकर गाय माता की पूजा करने के साथ ही ‘ इगास ‘ पर्व की अग्नि को भी प्रज्वलित किया. वह करीब आधे घंटे से अधिक समय तक इस लोक पर्व के आयोजन में उपस्थित रहे. प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर वहां उपस्थित लोगों से मुलाकात भी की.
प्रधानमंत्री के अलावा भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा , रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह , केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल , भाजपा संगठन महासचिव बीएल संतोष सहित उत्तराखंड मूल के कई वरिष्ठ नौकरशाह व सैन्य अधिकारी और अन्य लोगों ने इसमें शिरकत की.
इस लोक पर्व के आयोजन से पहले अनिल बलूनी ने इसके महत्व और इससे जुड़ी किवदंती भी साझा की. उन्होंने कहा कि पहाड़ों पर भगवान राम के अयोध्या लौटने की सूचना कुछ देर से पहुंची थी. यही वजह है कि वहां पर दिवाली देश के अन्य हिस्सों की तुलना में कुछ समय बाद मनाई जाती है. इसके साथ ही उन्होंने इससे जुड़ी एक अन्य किवदमती भी साझा की. अनिल बलूनी ने कहा कि इस लोक पर्व का आयोजन फिर से शुरू होने के पीछे भी एक रोचक कहानी है. बलूनी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने अपने सभी सांसदों और नेताओं को कहा कि वह अपने राज्य के लोक पर्व और त्योहारों को मनाना शुरू करें. यह हमारी संस्कृति के परिचायक और हमारी सभ्यता के सूचक हैं. अगर हम अपनी सांस्कृतिक धरोहर और त्योहारों को नहीं बचाएंगे तो आने वाले समय में धर्म को नहीं बचाया जा सकेगा.
बलूनी ने कहा कि प्रधानमंत्री के इस प्रेरक उद्बोधन के बाद उन्होंने दिल्ली स्थित अपने सरकारी निवास के अलावा अपने गांव में भी इस लोक पर्व को मनाना शुरू किया. इसके उपरांत प्रधानमंत्री के संदेश की वजह से समस्त देश और दुनिया के कई मुल्कों में उत्तराखंड के निवासियों ने इस लोक पर्व का आयोजन शुरू कर दिया. उत्तराखंड सरकार ने इस लोक पर पर छुट्टी का भी ऐलान किया है. बलूनी ने कहा कि यह लोक पर्व खत्म हो चुका था. लोग इसकी चर्चा भी यदा- कदा ही करते थे. इसे मानने की परंपरा तो लगभग खत्म हो गई थी. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा के बाद समस्त दुनिया में इसका आयोजन शुरू हो गया है. उत्तराखंड के इस लोक पर्व के संरक्षण और फिर से इसका आयोजन शुरू होने में प्रधानमंत्री की भूमिका युग-युगों तक याद की जाएगी.