प्रोफेसर की हथेली काटने वाला पीएफआई का 10 लाख का इनामी आतंकी गिरफ्तार
इंद्र वशिष्ठ
दिल्ली आजकल ब्यूरो , दिल्ली
10 जनवरी 2024
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने केरल के प्रोफेसर की हथेली काटने के मामले में मुख्य और आखिरी फरार आरोपी को गिरफ्तार कर लिया. तेरह साल से फरार पीएफआई के इस आतंकी पर दस लाख रुपए का इनाम घोषित था.
एनआईए के अनुसार लगातार प्रयासों के बाद मट्टनूर, कन्नूर (केरल) से सावेद को गिरफ्तार कर लिया गया.
सावेद की पहचान 2010 में प्रोफेसर टीजे जोसेफ की हथेली काटकर हत्या के प्रयास के मामले में मुख्य आरोपी के रूप में की गई थी. यह भारत में ऐसी सबसे पहली घटनाओं में से एक थी. जो पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) द्वारा अपनाई जा रही हिंसक उग्रवाद की विचारधारा को दर्शाती है.
इडुक्की जिले के थोडुपुझा स्थित न्यूमैन कॉलेज में बी.कॉम छात्रों की आंतरिक परीक्षा के लिए तैयार किए गए मलयालम प्रश्न पत्र में कथित तौर पर पैगंबर मोहम्मद का उपहास करने पर हमलावरों ने प्रोफेसर की हथेली काट दी थी. आरोपियों ने सवाल को उत्तेजक/ भड़काऊ माना था.
4 जुलाई 2010 को परिवार के सदस्यों की उपस्थिति में प्रोफेसर पर बर्बर हमला किया था. आरोपियों ने प्रोफेसर पर उस समय हमला किया था. जब वह परिवार सहित रविवार की सुबह प्रार्थना सभा के बाद चर्च से लौट रहे थे. घटनास्थल से भागने से पहले हमलावरों ने लोगों में दहशत फैलाने के लिए बम भी फेंका था.
इस हमले ने इस्लाम के आलोचकों और अन्य धर्मों के प्रमुख व्यक्तियों को निशाना बनाकर लोगों और समाज को आतंकित करने और उनके छद्म तालिबान शैली वाले न्यायालय ‘दार-उल-खदा’ के फैसलों को लागू करने के पीएफआई के नापाक और हिंसक इरादे और डिजाइन को उजागर किया था.
इस मामले में 10 जनवरी 2011 को सावेद के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया था. इस मामले में आईपीसी और यूए (पी) अधिनियम के तहत विभिन्न अपराधों के लिए अब तक कुल 19 आरोपियों को सज़ा सुनाई जा चुकी है. उनमें से तीन को आजीवन कारावास की सजा और 10 अन्य को आठ साल के कठोर कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई गई है.
इस मामले के सभी आरोपी अब प्रतिबंधित पीएफआई और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) के नेता या कार्यकर्ता/कैडर थे और मुवत्तुपुझा में प्रोफेसर टी.जे. जोसेफ पर घातक हमले से संबंधित आपराधिक साजिश में सक्रिय रूप से शामिल थे.
मामला मूल रूप से 4 जुलाई 2010 को एर्नाकुलम जिले के मुवत्तुपुझा पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था. बाद में इसकी जांच एनआईए को सौंप दी गई थी. एनआईए लगातार पूरे भारत में पीएफआई पर शिकंजा कसती जा रही है. पीएफआई के खिलाफ एजेंसी द्वारा दर्ज किए गए कई मामलों में भारत की लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को उखाड़ फेंकने और 2047 तक देश में इस्लामिक स्टेट स्थापित करने की साजिश का खुलासा हुआ है