स्पेशल कमिश्नर के घर इंस्पेक्टरों ने किया हंगामा , पुलिस का घटना से इनकार

इंद्र वशिष्ठ

दिल्ली आजकल ब्यूरो , दिल्ली
7 जनवरी 2024

दिल्ली पुलिस में पैसे के दम पर भी एसएचओ लगने/लगाने की बात होती रही है. लेकिन पैसे देने के बावजूद एसएचओ नहीं लगाए जाने पर इंस्पेक्टरों द्वारा एक स्पेशल कमिश्नर के घर पर हंगामा करने के मामले ने इतिहास रच दिया है. हालांकि दिल्ली पुलिस ने आधिकारिक तौर पर इस तरह की किसी भी घटना से इनकार किया है. उसने कहा है कि पीसीआर कॉल के साथ ही संबंधित इलाके के नजदीक वाले सभी पुलिस स्टेशन के रोजनामचा की भी जांच की गई है. जिसमें इस तरह की किसी भी घटना की कोई जानकारी सामने नहीं आई है.

शर्मनाक

इस मामले ने वैसे तो पुलिस महकमे और खासतौर पर आईपीएस बिरादरी को शर्मसार किया है. इस मामले ने यह तो साबित कर ही दिया कि पैसा देकर एसएचओ लगने/लगाने की बात में दम है. दिल्ली पुलिस के स्पेशल कमिश्नर रणवीर सिंह कृष्णियां (1989 बैच के आईपीएस)
31 दिसंबर 2023 को सेवानिवृत्त हो गए. 29 दिसंबर को पुलिस मुख्यालय में रणवीर सिंह का विदाई समारोह था. उसके बाद कुछ इंस्पेक्टरों ने उनके घर (पंडारा रोड) जाकर हंगामा कर दिया. एक इंस्पेक्टर ने पीसीआर पर कॉल भी कर दी.

पैसे लिए, एसएचओ नहीं लगाया

आरोप है कि इंस्पेक्टरों ने एसएचओ लगने के लिए स्पेशल कमिश्नर के एक बेहद खास इंस्पेक्टर को लाखों रुपए दिए थे. एसएचओ नहीं लगाए जाने पर इंस्पेक्टर अपना पैसा वापस मांग रहे थे. स्पेशल कमिश्नर ने अपने खास इंस्पेक्टर को बुलाया. पैसे लेने वाले इंस्पेक्टर और पैसे देने वाले इंस्पेक्टरों के बीच कहासुनी/ झगड़ा हुआ. पीसीआर कॉल से पुलिस महकमे में हडकंप मच गया.

चर्चा है कि पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा ने अपने ओएसडी मनीषी चंद्रा और एक अन्य डीसीपी को स्पेशल कमिश्नर के घर भेजा. कुछ इंस्पेक्टरों के पैसे वापस कर दिए गए और अन्यों को पैसे वापस करने का आश्वासन दे दिया गया.

सब झूठ है- इस आरोप के बारे में सेवानिवृत्त स्पेशल कमिश्नर रणवीर सिंह कृष्णियां का कहना है कि पूरा का पूरा मामला फ्राड है, गलत इरादे से कही गई मनगढ़ंत कहानी है. इसमें एक प्रतिशत भी सच्चाई नहीं है. उनके घर कोई इंस्पेक्टर नहीं आया.

कैमरे पोल खोल सकते हैं

वैसे रणवीर कृष्णियां की अब तक की छवि तो विवाद रहित रही है. ऐसे में वह अगर सच्चे हैं तो उन्हें खुद आगे आकर गृहमंत्री और पुलिस कमिश्नर से इस मामले की जांच की मांग करनी चाहिए. जिससे उनके दामन पर लगा दाग जल्दी से जल्दी साफ़ हो सके. रणवीर कृष्णियां के घर और आसपास लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज से भी यह आसानी से पता लग सकता है कि पैसे देने का आरोप लगाने वाले इंस्पेक्टर उनके घर गए थे या नहीं.

गृहमंत्री सबक सिखाओ

यह मामला इतना संगीन, गंभीर और खतरनाक है कि प्रधानमंत्री, गृहमंत्री को ही इस मामले की जांच करानी चाहिए क्योंकि मामला आईपीएस अधिकारी का है और आईपीएस द्वारा तो आईपीएस को बचाने की ही परंपरा रही है. ईमानदारी से जांच की जाए तो बहुत आसानी से सच्चाई सामने आ जाएगी. किस इंस्पेक्टर ने पीसीआर कॉल की थी. यह बात पीसीआर कॉल के रिकॉर्ड और उस इंस्पेक्टर के मोबाइल फोन के रिकॉर्ड से साबित हो सकती है.

कमिश्नर की भूमिका-
इस मामले में पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा की भूमिका पर भी सवालिया निशान लग जाता है. पुलिस कमिश्नर को एसएचओ लगने के लिए लाखों रुपए देने वाले वाले उन सभी इंस्पेक्टरों और स्पेशल कमिश्नर के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत मामला दर्ज करके मिसाल कायम करनी चाहिए थी.

रिकॉर्ड सार्वजनिक हो

पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा पीसीआर कॉल का रिकॉर्ड सार्वजनिक करके साबित करें कि किसी इंस्पेक्टर ने पीसीआर कॉल की थी या नहीं. पुलिस कमिश्नर बताएं कि उनके ओएसडी मनीषी चंद्रा सेवानिवृत्त स्पेशल कमिश्नर के घर गया था या नहीं. मनीषी चंद्रा के मोबाइल फोन के रिकॉर्ड से भी उनकी उस दिन/समय की लोकेशन स्पेशल कमिश्नर के घर पर थी या नहीं, यह आसानी से पता चल सकता है. पीसीआर कॉल का रिकॉर्ड और ओएसडी मनीषी चंद्रा के मोबाइल फ़ोन का रिकॉर्ड सार्वजनिक करने से ही इस मामले की सच्चाई सामने आ सकती है.

मौजूदगी

चर्चा है कि दस से ज्यादा इंस्पेक्टरों ने स्पेशल कमिश्नर के घर पर हंगामा किया था. इन सभी इंस्पेक्टरों के मोबाइल फोन के रिकॉर्ड से भी उनकी स्पेशल कमिश्नर के घर पर मौजूदगी साबित हो सकती है.

खास इंस्पेक्टर

स्पेशल कमिश्नर के साथ लंबे समय से जुड़े राजस्थान के ही निवासी इंस्पेक्टर विकास के मोबाइल फोन के रिकॉर्ड से भी यह पता चल जाएगा कि कौन- कौन इंस्पेक्टर एसएचओ लगने के लिए उसके साथ निरंतर संपर्क में था. इंस्पेक्टर विकास भी हंगामा वाले समय स्पेशल कमिश्नर के घर गया था या नहीं.

भ्रष्ट इंस्पेक्टर

वैसे स्पेशल कमिश्नर रणवीर सिंह कृष्णियां पर आरोप लगाने वाले इंस्पेक्टर भी भ्रष्ट तो हैं ही. यह तो उन्होंने हंगामा करके खुद ही ढिंढोरा पीट कर साबित कर ही दिया. ऐसे इंस्पेक्टर ही एसएचओ लगने के बाद पैसा वसूलने के लिए डाकुओं की तरह आम लोगों का तो खून चूसते ही है बल्कि पैसा लेकर अपराध और अपराधियों को संरक्षण तक देते हैं. ऐसे हालात के लिए भ्रष्ट आईपीएस अधिकारी जिम्मेदार होते हैं.

कमिश्नर को किसका इंतजार

स्पेशल कमिश्नर रणवीर सिंह कृष्णियां पर आरोप लगाने वाले इंस्पेक्टरों ने एसएचओ लगने के लिए पैसा देने की बात ढिंढोरा पीट कर (पीसीआर कॉल) कबूली. पुलिस कमिश्नर का तो यह कर्तव्य बनता था कि जैसे ही उनकी जानकारी में भ्रष्टाचार का यह संगीन मामला आया, तुरंत मामला दर्ज करना चाहिए था. इस मामले में पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा से बात करने के लिए उनके घर पर और मोबाइल फोन पर संपर्क की कोशिश की गई. पुलिस कमिश्नर के घर से बताया गया कि वह दिल्ली से बाहर हैं.

पुलिस ने घटना से किया इनकार

दिल्ली पुलिस ने इस तरह की किसी भी घटना के होने से इनकार किया है. उसने कहा है कि पीसीआर वैन में आई हजारों कॉल की जांच की गई. इसके अलावा तिलक मार्ग , कर्तव्य पथ , तुगलक रोड सहित कई थानों के रोजनामचों की भी जांच की गई. जिसमें इस तरह की किसी भी घटना को लेकर कोई कॉल या लिखित शिकायत नहीं आई है. दिल्ली पुलिस ने यह भी कहा है कि पुलिस कमिश्नर के ओएसडी या किसी अन्य डीसीपी के घटनास्थल पर जाने को लेकर भी कोई सवाल नहीं उठता है. इसकी वजह यह है कि इस तरह की कोई घटना हुई ही नहीं है. यह एक मनगढ़ंत कहानी है. जिसे सनसनीखेज तरीके से प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है.

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