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दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा ‘‘माता सुलक्खनी जी’’ के जीवन इतिहास पर व्याख्यान आयोजित किया गया

दिल्ली आजकल ब्यूरो, दिल्ली
23 सितंबर 2023

दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सहयोग से सिख इतिहास एवं गुरबाणी फोरम द्वारा ‘‘इतिहास में सिख महिलाएं’’ श्रृंखला के तहत दूसरा विशेष व्याख्यान रकाबगंज साहिब परिसर स्थित कमेटी कार्यालय के सेमिनार हॉल में आयोजित किया गया.

श्री गुरु ग्रंथ साहिब विद्या केंद्र महरौली के कीर्तनीय जत्थे द्वारा गुरबाणी शब्द कीर्तन के पश्चात व्याख्यान की शुरुआत हुई.  सरदार स्वर्ण सिंह द्वारा सभी विद्वानों- हरबंस कौर सागू निदेशक सिख इतिहास एवं गुरबाणी फोरम, व्याख्यान की अध्यक्षता कर रही प्रोफेसर डॉ. बेअंत कौर व गुरु नानक पब्लिक स्कूल राजौरी गार्डन की प्रिंसिपल डॉ. हरलीन कौर का स्वागत करते हुए उनके बारे में जानकारी साझा की . इस मौके पर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष सरदार इकबाल सिंह लालपुरा बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए. व्याखान में मौजूद सभी सदस्यों ने सम्मानपूर्वक उनका स्वागत किया.

मुख्य वक्ता डॉ. हरबंस कौर सागु ने पीपीटी के माध्यम से श्री गुरु नानक देव जी की धर्मपत्नी माता सुलक्खनी जी के जीवन इतिहास के बारे में बहुमूल्य जानकारी साझा की और कहा कि माता सुलक्खनी जी का सिख पंथ में बहुत बड़ा योगदान है. श्री गुरु नानक देव जी की लम्बी प्रचार यात्राओं पर जाने की तैयारी के दौरान उन्होंने अपने पति नानक जी के इस नेक कार्य में कोई बाधा नहीं डाली. इसके बजाय उन्होंने बच्चों के पालन-पोषण का बड़ा काम अकेले ही किया. संसार की भलाई के लिए अपने वैवाहिक जीवन की खुशियों का त्याग करना अपने आप में एक बहुत बड़ा त्याग है. माता सुलखनी जी के जीवन चरित्र को संगत तक पहुंचाना अति आवश्यक है.

व्याख्यान के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष सरदार इकबाल सिंह लालपुरा ने अपने विचार साझा करते हुए ऐतिहासिक सिख महिलाओं के जीवन इतिहास को संगत के सामने लाने की इस मूल्यवान पहल के लिए दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी को बधाई दी. व्याख्यान की अध्यक्षता करते हुए प्रोफेसर डॉ. बेअंत कौर और प्रिंसिपल हरलीन कौर ने माता सुलखनी जी के जीवन इतिहास के बारे में अपने बहुमूल्य विचार साझा किए. इस अवसर पर डॉ. राजवंत कौर ने माता सुलक्खनी जी के जीवन पर एक कविता पढ़ी. भाई वीर सिंह साहित्य सदन के निदेशक, प्रोफेसर मोहिंदर सिंह ने कहा कि आज समय की मांग है कि इस प्रकार के सेमिनार आयोजित हों ताकि सिख इतिहास में मौजूद महिलाओं के योगदान को सामने लाया जा सके.

इस अवसर पर डॉ. अमरजीत कौर, डॉ. हरबंस सिंह, अनीता बख्शी, सरदार राजिंदर सिंह विरासत, सरदार कुलवीर सिंह, जगदीप सिंह घुमन, विभिन्न स्कूलों, कॉलेजों के प्रिंसिपल, प्रोफेसर, विद्वान, शिक्षक व छात्र बड़ी संख्या में शामिल हुए.

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