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दिल्ली आजकल ब्यूरो, दिल्ली
26 मई 2023

दिल्ली की नौकरशाही पर नियंत्रण के लिए मोदी सरकार की ओर से लाए गए अध्यादेश का विरोध कर रहे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने समर्थन के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात का समय मांगा है. यह कहा जा रहा है कि हाल ही में जब केजरीवाल ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार से इस मुददे को लेकर मुलाकात की थी. उस समय शरद पवार ने केजरीवाल को राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे से मिलने की सलाह दी थी. पवार ने कहा था कि संसद के आगामी सत्र में इस अध्यादेश के खिलाफ आम आदमी पार्टी को उसी समय जीत मिल सकती है. जब कांग्रेस सहित सभी दल उसका साथ दे. ऐसे में केजरीवाल का राहुल गांधी से मिलना जरूरी है.

सूत्रों के मुताबिक केजरीवाल चाहते हैं कि सरकार जब इस अध्यादेश को राज्यसभा में स्वीकृति के लिए लाए तो सभी विपक्षी दल इसके खिलाफ मतदान करे. जिससे यह अध्यादेश वहां से पारित न होने पाए. राज्यसभा में किसी भी अध्यादेश को पारित कराने के लिए मौजूदा स्थिति में करीब 117 वोट की जरूरत होगी. कांग्रेस के पास करीब ढाई दर्जन से अधिक राज्यसभा सांसद हैं. जबकि भाजपा के पास 93 राज्यसभा सांसद हैं. विपक्ष में कांग्रेस के पास इतने अधिक सांसद हेाने की वजह से ही अरविंद केजरीवाल ने राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे से मिलने का समय मांगा है. हालांकि फिलहाल तक कांग्रेस ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया है. लेकिन माना जा रहा है कि कांग्रेस इस मुददे पर मुलाकात से इनकार नहीं करेगी.

सूत्रों के मुताबिक केजरीवाल वैसे अध्यादेशस के मुददे पर राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात करना चाहते हैं. लेकिन इस मुलाकात के दौरान यह संभव है कि इनके बीच संभावित विपक्षी मोर्चा को लेकर भी चर्चा हो. कांग्रेस फिलहाल तक आम आदमी पार्टी को इस मोर्चा में नहीं रखना चाहती है. कांग्रेस नेता और राहुल गांधी के विश्वासपात्र अजय माकन इसका खुले तौर परविरोध कर रहे हैं. लेकिन शरद पवान और नीतीश कुमार जैसे विपक्षी मोर्चा के अगुआ नेता केजरीवाल को संभावित मोर्चा में शामिल करने के पक्षधर हैं. कांग्रेस ने हालांकि इसको लेकर कोई अधिकारिक राय जाहिर नहीं की है. उसका डर है कि अगर केजरीवाल को विपक्षी मोर्चा में शामिल किया गया तो वह दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, गोवा , कर्नाटक , महाराष्ट्र में सीट देने की बात करेंगे. जिसकी वजह से इन राज्यों में सबसे अधिक सीट कांग्रेस के हिस्से से ही जाएगी. जबकि दिल्ली और पंजाब छोड़कर अन्य जगह पर आम आदमी पार्टी का संगठन तक जमीन पर नहीं है. ऐसे में वह बिना संगठन और कार्यकर्ता के भी कांग्रेस के दम पर काफी सीटें जीत जाएगी.

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