दिल्ली आजकल ब्यूरो, दिल्ली
22 मई 2023
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जब सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की थी. उस समय नीतीश कुमार ने कांग्रेस को संभावित विपक्ष में अरविंद केजरीवाल को स्थान देने और केंद्र सरकार की ओर से दिल्ली की नौकरशाही पर नियंत्रण के लिए लाए गए अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली सरकार का समर्थन करने की अपील की थी. नीतीश कुमार ने स्वयं इस अध्यादेश के खिलाफ केजरीवाल को खुला समर्थन दिया है. लेकिन इसके एक दिन बाद ही कांग्रेस ने यह स्पष्ट संकेत दे दिया कि वह इस मुददे पर केजरीवाल का समर्थन शायद ही करे. इससे पहले कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने भी कहा कि अध्यादेश पर केजरीवाल के समर्थन पर कोई फैसला नहीं किया गया है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन ने वेणुगोपाल के टवीट को साझा करते हुए कहा कि इस मामले में जिसको कांग्रेस की स्थिति को लेकर भ्रम है. वह इसे जरूर पढ़े. अजय माकन शुरूआत से अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के साथ किसी भी तरह के गठबंधन का विरोध करते रहे हैं. उनका कहना है कि इससे कांग्रेस के अंदर भ्रम बढ़ेगा. कांग्रेस कार्यकर्ता आम आदमी पार्टी के सामने बौने हो जाएंगे.
कांग्रेस ने मंगलवार को लगभग यह साफ कर दिया कि वह अध्यादेश के मामले पर शायद ही सड़क या सदन पर आम आदमी पार्टी के साथ खड़ी नजर आए. कांग्रेस के कई नेताओं ने स्पष्ट रूप से कहा कि आम आदमी पार्टी ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को दिए गए भारत रत्न वापस लेने की मांग की है. उसने इस मामले में भाजपा का साथ दिया है. ऐसे में आम आदमी पार्टी का हम इस मुददे पर कैसे समर्थन कर सकते हैं. इस मुददे पर अजय माकन ने एक बार फिर से आक्रमक रूख अख्तियार करते हुए कहा कि अध्यादेश में संशोधन करना या इसे वापस लेने की मांग करना सरदार पटेल, जवाहर लाल नेहरू, डा बीआर अंबेडकर , लाल बहादुर शास्त्री जैसे कांग्रेस के नेताओं का अपमान होगा. जो यह मानते रहे थे कि दिल्ली केवल एक राज्य नहीं है. यहां केंद्र सरकार की उपस्थिति होने की वजह से कई क्षेत्रों में उसकी जिम्मेदारी भी बनती है. यही वजह है कि यहां पर अमेरिका और आस्ट्रेलिया के संघ शासित प्रदेश की तरह केंद्र सरकार के अधीन भी अधिकार रहना चाहिए. ऐसा नहीं होने पर अरविंद केजरीवाल को पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित, मदनलाल खुराना, साहिब सिंह वर्मा, सुषमा स्वराज से अधिक ताकत-अधिकार मिल जाएंगे. जो उन मुख्यमंत्रियों के साथ अनुचित होगा.
अजय माकन ने कहा कि जब केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर के राज्य का दर्जा खत्म किया तो आम आदमी पार्टी ने उसका समर्थन किया. वहां के लोग भाजपा सरकार के इस कदम की वजह से पांच साल वोट नहीं दे पाए. लेकिन केजरीवाल ने उसका समर्थन किया. यही नहीं, केजरीवाल की पार्टी ने भाजपा की उस मांग का भी समर्थन किया. जिसमें कांग्रेस के प्रेरणा स्त्रोत और हमारे पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को दिया गया भारत रत्न वापस लेने की मांग की गई थी. इसके साथ ही विवादास्पद किसान कानून को लागू करने वाले केजरीवाल पहले व्यक्ति थे. राज्यसभा के उपसभापति पद के उम्मीदवार के लिए केजरीवाल ने विपक्ष की जगह भाजपा के उम्मीदवार का समर्थन किया. गुजरात, गोवा, हिमाचल प्रदेश, असम, उत्तराखंड और कर्नाटक में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के खिलाफ उम्मीदवार उतारकर भाजपा को जिताने का प्रयास किया. आखिर क्या वजह है कि जहां पर भाजपा-कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है. वहीं पर केजरीवाल अपनी पार्टी के साथ पहुंच जाते हैं. यह क्या सांठगांठ है. माकन ने कहा कि इससे पहले भी कई मुख्यमंत्री दिल्ली का शासन चला चुके हैं. लेकिन उन्होंने कभी भी अधिकार को लेकर ऐसा ड्रामा नहीं किया. क्या यह कोई नौटंकी है. आखिर एक आदमी जो खुद को आम आदमी के रूप में प्रस्तुत कर सामने आया था. वह सभी अधिकार लेकर खास क्यों बनना चाहता है. जबकि सुप्रीम कोर्ट तक कह चुकी है कि दिल्ली विशेष मामला है. जहां पर केंद्र के भी अधिकार हैं.
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