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इंद्र वशिष्ठ, दिल्ली
18 जनवरी 2023

पेंशन भोगियों को ठगने वाले एक गिरोह को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की साइबर क्राइम यूनिट (आईएफएसओ) ने गिरफ्तार किया है. यह गिरोह 1800 पेंशन भोगियों को ठग चुका है. पुलिस ने इनके पास से एक लैपटॉप, दस मोबाइल फोन, अनेक सिम कार्ड और एटीएम कॉर्ड बरामद किये हैं.

जीवित होने का प्रमाण पत्र

पेंशन भोगियों को पेंशन पाने के लिए हर साल अपने जीवित होने का प्रमाण पत्र बैंक/ डाक घर में देना होता है. पहले सिर्फ व्यक्तिगत रूप से हाज़िर हो कर ही यह प्रमाण पत्र देना पड़ता था. साल 2014 से सरकार द्वारा पेंशन भोगियों की सुविधा के ऑनलाइन जीवन प्रमाण पत्र प्रदान करने की सुविधा भी शुरू की हुई है  . इसके लिए
https://jeevanpramaan.gov.in वेबसाइट बनाई हुई है. डीसीपी प्रशांत गौतम ने बताया कि  राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) से शिकायत मिली थी कि कुछ जालसाजों ने ऑनलाइन जीवन प्रमाण पत्र बनाने वाली सरकारी वेबसाइट से मिलती जुलती https://jeevanpraman.online/ नाम से नकली वेबसाइट बना ली है. इसके माध्यम से वह जीवन प्रमाण पत्र सेवाओं के लिए पेंशन भोगियों से पैसे ले रहे हैं. जीवन प्रमाण पत्र फॉर्म भरने/ पंजीकरण के लिए  प्रति आवेदक 199 रुपए ठग रहे हैं.  इस शिकायत पर  आईएफएसओ ने धोखाधडी, जालसाजी और आईटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया.

एसीपी जय प्रकाश की देखरेख में इंस्पेक्टर सुनील सिद्धू, इंस्पेक्टर योगराज, एएसआई अजीत सिंह, हवलदार हरी किशन, अतुल सुहाग, सोमबीर, सिपाही हुक्म और योगेन्द्र की एक टीम गठित की गई.  तफ्तीश के दौरान जाली वेबसाइट के बारे में तकनीकी सूचना, बैंक खातों और  कॉल रिकॉर्ड की जांच की गई. तकनीकी तफ्तीश के आधार पर पुलिस ने अभियुक्तों की पहचान की और उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और तेलंगाना में छापे मार कर अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया.

अभियुक्तों के नाम

इस मामले में अमित खोसा ( ग्रेटर नोएडा), कणव कपूर (नोएडा), बिनॉय सरकार ( हैदराबाद) और शंकर मंडल (हैदराबाद) को गिरफ्तार किया गया है. कणव कपूर ऐसे ही मामले में पहले भी गिरफ्तार हो चुका है. कणव ( बी.टेक, वेब डेवलपर) और अमित (ग्रेजुएट) इस मामले के मुख्य अभियुक्त है. कणव ने जाली वेबसाईट बनाई थी.

रकम का बंटवारा

ठगी गई रकम में से पचास प्रतिशत कणव कपूर , पैंतीस प्रतिशत अमित, दस प्रतिशत शंकर मंडल और पांच प्रतिशत बिनॉय  सरकार को मिलता था. बिनॉय सरकार ने अपने मातहत काम करने वाले शंकर मंडल के बैंक खातों का विवरण अमित को दिया था. शंकर मंडल एमबीए और बीकॉम (कंप्यूटर) है. बिनॉय सरकार ने मानव संसाधन प्रबंधन में स्नातकोत्तर किया है.

लोग शिकायत नहीं करते

डीसीपी प्रशांत गौतम ने बताया कि पंजीकरण शुल्क मामूली होता था इसलिए लोग  शिकायत भी नहीं करते थे. शंकर मंडल के बैंक खातों के विवरण से पता चला है कि यह 1800 पेंशन भोगियों को ठग चुके हैं.

सावधान, सतर्क रहे

डीसीपी प्रशांत गौतम ने बताया कि गूगल पर किसी भी वेबसाइट को सर्च करते समय ठगी से बचने के लिए यह जरूर देख लेना चाहिए कि उस पर प्रयोजक/ स्पोंसर्ड या एडी यानी विज्ञापन तो नहीं लिखा हुआ है.

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