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इंद्र वशिष्ठ , दिल्ली
13 जनवरी 2023

अंजलि हत्याकांड मामले में रोहिणी जिले के 11 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया है.
इन पुलिसकर्मियों ने ही दीपक दहिया से समय पर सूचना मिलने के बाद भी आरोपी कार सवारों को मौके पर नहीं पकड़ा था. सस्पेंड पुलिसकर्मियों में दो सब-इंस्पेक्टर, चार एएसआई, चार  हवलदार और एक सिपाही है.
इनमें से पांच पुलिसकर्मी पिकेट पर और 6 पुलिसकर्मी पुलिस गाड़ी में  उस रास्ते पर तैनात थे.

डीसीपी से जवाब तलब

रोहिणी जिले के डीसीपी गुरइकबाल सिंह को भी कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश गृह मंत्रालय ने  दिए हैं. गृह मंत्रालय ने पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा को उस रास्ते की पुलिस पिकेट और पुलिस  गाड़ियों में तैनात पुलिस कर्मियों के सुपरवाइजरी अफसरों ( डीसीपी/एसीपी/एसएचओ) को डयूटी में लापरवाही बरतने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश दिए हैं.

आईओ को नोटिस

इसके अलावा मामले की तफ्तीश में कमी को देखते हुए जांच अधिकारी को भी कारण बताओ नोटिस जारी करने को कहा गया है.
पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा को उस रात डयूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने को भी कहा गया है. गृह मंत्रालय ने कहा है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि जांच में कोई कमी न रहे. इस मामले की जांच की प्रगति की पाक्षिक रिपोर्ट गृह मंत्रालय को दी जाए.

कानून-व्यवस्था सुधारों

गृह मंत्रालय ने कहा है कि राजधानी में कानून व्यवस्था की स्थिति को सुधारने के लिए कदम उठाएं जाएं, जिससे लोगों खासकर महिलाएं और बच्चे भयमुक्त वातावरण में रहें.

पीसीआर के विलय की समीक्षा

गृह मंत्रालय ने कहा है पीसीआर का जिले/थानों में विलय किए जाने को लेकर फिर से समीक्षा की जाए.
पूर्व पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना ने पीसीआर के लगभग 8000 पुलिसकर्मियों का जिला पुलिस में विलय/ एकीकरण कर दिया था. पीसीआर गाड़ी और उनका स्टाफ थानों में जोड़ दिया गया. अब पुलिस की इन गाड़ियों का नाम मल्टी परपज व्हीकल ( एमपी वैन) है. अब यह डीसीपी/एसएचओ के अन्तर्गत हैं. पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा ने पदभार संभालने के बाद पीसीआर के एकीकरण/ विलय की समीक्षा के लिए अफसरों की एक टीम का गठन किया था.

पीसीआर का पुराना सिस्टम बेहतर

वैसे ज्यादातर आईपीएस अफसरों का भी यह मानना है कि पीसीआर का पुराना सिस्टम ही बेहतर था. पीसीआर को वापस वैसे ही स्वतंत्र इकाई के रूप में बहाल कर दिया जाना चाहिए. पीसीआर के कारण भी दिल्ली पुलिस की अपनी एक अलग पहचान थी.  अंजलि हत्याकांड के बाद यह बात सामने आई है कि पीसीआर का पुराना सिस्टम होता तो शायद आरोपियों की कार को मौके पर ही पकड़ा जा सकता था.

पुलिस के बीच कम्युनिकेशन नहीं

इस मामले की जांच में पीसीआर का संचालन करने वाली ऑपरेशन यूनिट के अफसरों ने पाया  कि अंजलि के शरीर को करीब 12 किलोमीटर तक घसीटने वाली आरोपियों की कार की तलाश में लगी पुलिस की नौ गाड़ियों के बीच कोई संचार/ कम्युनिकेशन नहीं था. यह भी पाया गया कि पुलिस की दो गाड़ियों में तैनात पुलिसकर्मियों ने तो अपने थाना क्षेत्र से बाहर जाने से ही इनकार कर दिया था.  गाड़ियों में तैनात पुलिसकर्मियों ने पुलिस नियंत्रण कक्ष को यह तक नहीं बताया कि कार की तलाश के लिए और गाड़ियां भेजी जाए.

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