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दिल्ली आजकल ब्यूरो, दिल्ली
7 दिसंबर 2022

दिल्ली नगर निगम चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 134 सीटों पर चुनाव जीतकर निगम की सत्ता पर कब्जा कर लिया है. पिछले निगम चुनाव में आम आदमी पार्टी को 49 सीट हासिल हुई थी. पिछले चुनाव के मुकाबले आम आदमी पार्टी को 80 से अधिक सीट हासिल हुई है. वही, भाजपा को 104 सीटों पर ही जीत मिल पाई है. पिछले चुनाव में उसे 181 सीट मिली थी. भाजपा को लगभग 64 सीटों का नुकसान हुआ है. कांग्रेस को केवल 9 सीट हासिल हुई है. पिछले चुनाव में उसे 31 सीट हासिल हुई थी. जीत के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने सभी पार्षदों, विधायकों और सांसदों से कहा कि अहंकार कभी नहीं करना चाहिए. ऐसा करने पर अंत में आप नीचे ही आते हैं.

दिल्ली नगर निगम चुनाव में भाजपा दिल्ली के सभी संसदीय क्षेत्रों में पूरी तरह से आम आदमी पार्टी के सामने पिछड़ती नजर आई . भाजपा केवल पूर्वी दिल्ली और उत्तर पूर्वी दिल्ली में आम आदमी पार्टी से अधिक सीटों पर जीतने में सफल रही है. जबकि अन्य सभी संसदीय क्षेत्रों में उसे शर्मनाक पराजय का सामना करना पड़ा है. हालांकि पूर्वी दिल्ली और उत्तर पूर्वी दिल्ली में भी उसे पहले की तुलना में कम सीट हासिल हुई है. सबसे अधिक नुकसान भाजपा को नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र में हुआ है. जहां निगम की कुल 25 सीटों में से उसे केवल 5 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा. जबकि आम आदमी पार्टी ने 20 सीटों पर जीत दर्ज की है. यहां से मीनाक्षी लेखी सांसद हैं. वह केंद्र सरकार में राज्य मंत्री भी हैं. इसी तरह से पश्चिमी दिल्ली से सांसद प्रवेश वर्मा चुनाव के दौरान लगातार आम आदमी पार्टी पर हमलावर रहे थे. उनके संसदीय क्षेत्र की कुल 38 निगम सीटों में से भाजपा 13 पर ही जीत पाई. जबकि आम आदमी पार्टी ने 24 सीटों पर जीत दर्ज की है. प्रसिद्ध सूफी गायक हंसराज हंस भी भाजपा के उत्तर पश्चिमी दिल्ली सीट से सांसद हैं. यहां पर निगम की कुल 45 सीट है. भाजपा को यहां 14 और आम आदमी पार्टी को 27 सीट मिली है. हंसराज हंस पर यह आरोप लगते रहे हैं कि वह चुनाव जीतने के बाद से क्षेत्र में शायद ही कभी आए हैं.

दिल्ली निगम चुनाव में भाजपा के सामने अरविंद केजरीवाल की रणनीति कामयाब होती हुई नजर आई है. दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल दिल्ली के लैंडफिल साइट , जिसे उन्होंने कूड़े के पहाड़ करार दिया था , उसे वह एक बड़ा मुद्दा बनाने में सफल रहे. यह उनकी सफलता ही थी कि इस मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक ने प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से अपना पक्ष रखा. इसके अलावा पुराने पार्षदों के टिकट बड़ी संख्या में काटने में असफल रहना भी भाजपा को भारी पड़ा. पिछले निगम चुनाव में उसने अपने सभी पार्षदों के टिकट काट दिए थे. जिसकी वजह से वह एक बार फिर निगम की सत्ता में वापसी करने में सफल रही थी. यह कहा जा रहा है कि भाजपा के खिलाफ उसका नेगेटिव कैंपेन भी गया है. समस्त चुनाव के दौरान भाजपा दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन और उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाती रही. जेल में बंद सत्येंद्र जैन के वीडियो को लगातार जारी करती रही. यह कहा जा रहा है कि इस नकारात्मक प्रचार को दिल्ली की जनता ने पसंद नहीं किया.

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