दिल्ली आजकल ब्यूरो, दिल्ली
1 दिसंबर 2022
पिछले 38 सालों से 1984 सिख कत्लेआम के आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई को लेकर संघर्ष कर रहे अखिल भारतीय दंगा पीड़ित राहत कमेटी के मुखी एवं शिरोमणी अकाली दल के वरिष्ठ नेता कुलदीप सिंह भोगल ने उ0 प्र0 में एसआईटी का कार्यकाल समाप्त होने से पहले उसे ना बढ़ाये जाने को लेकर राज्य की योगी सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़े किये हैं.
जत्थेदार कुलदीप सिंह भोगल ने कहा कि कांग्रेस से तो कोई उम्मीद सिख समुदाय को थी ही नहीं क्योंकि कत्लेआम को अंजाम ही कांग्रेस की शह पर दिया गया था. लेकिन अब कातिलों के नाम सामने आने के बाद भी उन पर कार्यवाई करने के बजाये उन्हें बचाने के प्रयास उ0 प्र0 की सरकार करती दिखाई दे रही है. जिससे यह संदेश सिखों के बीच जा रहा है कि भाजपा भी कांग्रेस की राह पर ही चलने लगी है. उन्होंने कहा कि वह 38 सालों से निरन्तर संघर्ष करते आ रहे हैं. देश में मोदी सरकार के आने के बाद से एक उम्मीद की किरण दिखाई दी थी. जब सरकार के आदेश पर राज्य की सरकारों ने एसआईटी का गठन कर जांच पुनः शुरू की थी.
भोगल ने कहा कि लेकिन इस मामले में योगी सरकार द्वारा बनाई गई एसआईटी का रवैया शुरू से ही ढिलमुल रहा है. अब लम्बे समय के बाद जब एसआईटी ने अपनी रिर्पोट तैयार की. जिसमें 40 के करीब कातिलों के नाम षामिल किये गये हैं. भोगल ने आरोप लगाते हुए कहा कि इन नामों में कुछ बड़े रसूख वाले और युजविन्दर खुशवाहा जैसे राजनीति से जुड़े नेताओं के नाम भी उसमें थे. जिसके चलते लगता है कि सरकार इस पर कोई कार्यवाई करने के पक्ष में नहीं है. इसी वजह से शायद एसआईटी का कार्यकाल समाप्त होने से पहले उसे आगे नहीं बढ़ाया गया है.
जत्थेदार कुलदीप सिंह भोगल ने कहा कि वह एसआईटी से उनके कार्यकाल को लेकर लगातार संपर्क करने का प्रयास कर रहे हैं. लेकिन उनको कोई जवाब एसआईटी से नहीं मिल रहा है. उन्होंने कहा कि लेकिन वह चुप बैठने वालों में से नहीं है. वह अपना संघर्ष जारी रखेंगे. सुप्रीम कोर्ट में इन केसों को लेकर जाएंगे. कातिलों को सलाखों के पीछे भिजवाकर ही दम लेंगे.