दिल्ली आजकल ब्यूरो, दिल्ली
22 नवंबर 2022
अजय माकन का दिल्ली के केजरीवाल बिजली मॉडल पर हमला, पूछा जब बिजली चोरी रूकी तो बिजली बिल क्यों बढ़ा
कांग्रेस नेता अजय माकन ने दिल्ली सरकार के केजरीवाल बिजली मॉडल पर प्रेस कांफ्रेंस कर हमला किया है. उन्होंने कहा कि दिल्ली में बिजली चोरी रूकी. लेकिन बिल फिर भी बढ़ गए. केजरीवाल बिजली मॉडल की वजह से दिल्ली में 1.5 लाख लोग बेरोजगार हो गए. निजी वितरण कंपनियो को हजारों करोड़ रूपये बिना किसी आडिट के दे दिए गए. उन्होंने कहा कि इस मामले की सीबीआई से जांच होनी चाहिए. उन्होंने संकेत दिए कि वह आने वाले दिनों में राष्ट्रीय राजनीति से दूर होकर दिल्ली की राजनीति में सक्रिय होंगे. उन्होंने कहा कि वह जल्द ही दिल्ली सरकार की अन्य गड़बड़ियो को भी सामने रखेंगे.
कांग्रेस महासचिव और पूर्व केंद्रीय खेल मंत्री अजय माकन ने कहा कि केजरीवाल बिजली का मॉडल देश में सबसे महंगा है. इसकी वजह से दिल्ली से हजारों एमएसएमई, कॉटेज इंडस्ट्री दूसरे राज्यों में चली गई. जिसकी वजह से दिल्ली मे केवल इन उदयोगों में ही डेढ़ लाख से अधिक लोग बेरोजगार हुए हैं. उन्होंने कहा कि वह उम्मीद करते हैं कि दिल्ली प्रदेश कांग्रेस की ओर से इस बिजली लूट मॉडल की शिकायत सीबीआई से की जाएगी. कांग्रेस के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी ने कहा कि वह उपराज्यपाल से शिकायत करेंगे. उसके उपरांत सीबीआई को भी शिकायत देंगे. अगर उसके बाद भी केजरीवाल पर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो वह अदालत जाएंगे.
अजय माकन ने कहा कि दिल्ली में जब कांग्रेस की सरकार थी. उस समय एटीएंडसी या बिजली चोरी 54 प्रतिशत थी. इसे देखते हुए बिजली के निजीकरण का निर्णय किया गया. जिसके बाद बिजली चोरी घटकर 16.19 प्रतिशत रह गई. यह वर्ष 2013—14 की बात है. उसके बाद आम आदमी पार्टी की सरकार बनी और बिजली चोरी कम होकर 8.87 प्रतिशत रह गई. ऐसे में अगर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी सरकार के बीच कम हुई बिजली चोरी के 7.32 प्रतिशत का ही आकलन करें तो राज्य सरकार को करीब 1746 करोड़ रूपये की अतिरिक्त बचत हुई. लेकिन दूसरी ओर, जो बिजली पहले औसत 6.22 रूपये प्रति यूनिट थी. उसका मूल्य बढ़कर 8.67 रूपये यूनिट हो गया. जब बिजली चोरी कम हुई. उसकी वजह से अतिरिक्त बचत हुई तो फिर बिजली का बिल क्यों बढ़ रहा है. माकन ने कहा कि केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में 90 प्रतिशत लोग सब्सिडी लेते हैं. लेकिन उनके ही आंकड़ें कह रहे हैं कि केवल 60 प्रतिशत लोगों ने सब्सिडी के लिए आवेदन किया है. ऐसे में शेष 30 प्रतिशत लोगों की सब्सिडी का पैसा कहां गया. माकन ने कहा कि यह राशि केजरीवाल सरकार ने निजी बिजली वितरण कंपनियों को बिना किसी आडिट या जांच के दे दी. यह राशि करीब 14731 करोड़ रूपये है. खास बात यह है कि इससे संबंधित उनकी एक आरटीआई का जवाब दिल्ली सरकार ने तीन साल बाद भी नहीं दिया है. केजरीवाल पहले कहते थे कि वह बिजली सब्सिडी निजी कंपनियों को नहीं बल्कि सरकारी कंपनी दिल्ली ट्रांसको को देंगे. जिससे उसे बेहतर किया जा सके. फिर अचानक निजी कंपनयिो को बिना आडिट इतनी राशि क्यों दी गई. यह केजरीवाल के दिल्ली बिजली मॉडल का वह छुपा सच है. जिसे कांग्रेस गुजरात चुनाव में भी जनता के सामने रखेगी. माकन ने दिल्ली में बिजली बिल, आपूर्ति, वितरण कंपनियों को दी जा रही राशि से संबंधित एक पुस्तिका भी जारी की. उन्होंने कहा कि इसमें केजरीवाल के बिजली मॉडल के झूठ का पुलिंदा जनता के सामने आएगा.
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