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दिल्ली आजकल , दिल्ली
20 नवंबर 2022

भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला प्रगति मैदान के हॉल संख्या 5 के “जी. आई. पवेलियन” में भौगोलिक उत्पादों ने धूम मचा दी है . ज्ञातव्य है कि यह जी. आई. पवेलियन, उद्योग संबर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार के द्वारा लगाया गया है . इस पवेलियन में भारत के विभिन्न क्षेत्रों से आए हस्तशिल्पियों के कुल 109 स्टॉल हैं. जिनमें हस्तशिल्पियों ने उद्योग संबर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग द्वारा जी. आई. टैगिंग प्रदान किए गए भौगोलिक उत्पादों को प्रदर्शित किया है . ये भौगोलिक उत्पाद उन विशेष भौगोलिक क्षेत्रों की पहचान हैं एवं उन क्षेत्रों की विशेषताओं एवं गुणवत्ताओं से युक्त हैं . इन उत्पादों में बिहार का मिथिला मक्खाना, मिथिला पेंटिंग, कश्मीर का पश्मीना, महोबा का पान, बनारस की बनारसी साड़ी एवं वुडन हैंडीक्राफ्ट, चेन्नपटना के लकड़ी के खिलौने, कन्नौज का इत्र, सिद्धार्थ नगर का कला नमक चावल विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं .

स्टॉल संख्या 5-18A पर
बनारस के वुडन क्राफ्ट के अंतर्गत आया हुआ रामदरबार काफी चर्चा में है. यह वही रामदरबार है. जिसे भारत के प्रधानमंत्री ने इंडोनेशिया के राष्ट्रपति को भेंट की थी.

भारत सरकार की इस योजना के अंतर्गत अब हस्तशिल्पी अपने उत्पादों की गुणवत्ता के साथ साथ पैकेजिंग पर भी ध्यान दे रहे हैं. जिसे स्टॉल संख्या 5-26A पर देखा जा सकता है. ज्ञातव्य है कि भौगोलिक उत्पादों का रजिस्ट्रेशन उद्योग संबर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग के द्वारा जी. आई. एक्ट, 1999 के अंतर्गत किया जाता है . आजतक कुल 423 भौगोलिक उत्पादों को रजिस्टर्ड किया जा चुका है. सरकार की इस योजना से जहां एक ओर भारत से विलुप्त होती जा रही हस्तशिल्पियों के हाथों की हुनर एवं उनकी विरासत को एक पहचान मिली है. वहीं दूसरी ओर, हस्तशिल्पियों को उनकी मेहनत का सीधा मुनाफा उन्हें मिल पा रहा है. इस से हस्तशिलियों के जीवन में काफी बदलाव आया है. यह योजना माननीय प्रधानमंत्री के संदेश “वोकल फ़ॉर लोकल एंड देन लोकल टू ग्लोबल” एवं “आत्मनिर्भर भारत” को आगे ले जाने में काभी सफल साबित हो रही है.

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