विनय कुमार, दिल्ली
14 जुलाई 2022
कांग्रेस ने यह साफ कर दिया है कि संसद का मानसून सत्र हंगामेदार होगा. उसने यह भी संकेत दिए हैं कि वह संसद के इस सत्र को शायद ही चलने दे. कांग्रेस नेता मलिकार्जुन खरगे ने कहा कि कांग्रेस पार्लियामेंट्री स्ट्रेटजी कमेटी की बैठक में यह निर्णय किया गया है कि सरकार से सदन के अंदर उन सभी मुद्दों पर सवाल किए जाएं. जिससे आम जनता त्रस्त और परेशान है. इस मुद्दे पर कांग्रेस समान विचारधारा वाले सभी दलों के साथ 17 जुलाई को बैठक भी करने वाली है. जिससे संसद के अंदर सरकार को घेरने के लिए एक व्यापक और व्यवस्थित रणनीति तैयार की जा सके.
उन्होंने कहा कि महंगाई , एलपीजी के लगातार बढ़ते दाम, बेरोजगारी , अग्निवीर योजना, सीमा पर चीन की घुसपैठ, देश में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की चेष्टा, अनावश्यक रूप से असंसदीय शब्दों का नियम लाने जैसे अनेक मुद्दे हैं. जिस पर देश की जनता सरकार से जवाब चाहती है. लेकिन सरकार हर दिन कोई नया इवेंट और जुमला गढ़ने के अलावा कुछ नहीं कर रही है. उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से ऑल पार्टी मीटिंग आयोजित की जाती है. लेकिन इसका सच यह है कि इसमें प्रधानमंत्री केवल अंत में फोटो खिंचवाने के लिए आते हैं. उन्होंने कहा कि संसद का सत्र चलेगा या नहीं चलेगा. यह सरकार पर निर्भर करता है. अगर सदन में विपक्ष को नहीं बोलने दिया गया तो हम सड़कों पर सरकार से जवाब मांगेंगे. उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया था. जिससे जनता सीधे बैंकिंग सिस्टम से जुड़े. इस सरकार ने
राष्ट्रीयकृत बैंकों को 27 से 22 कर दिया. वह अब इस संख्या को 20 तक सीमित करना चाहती है. उसकी योजना केवल देश में एक ही बैंक को राष्ट्रीयकृत रखने की है. यह बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया है. जबकि अन्य सभी बैंकों को का निजीकरण कर दिया जाएगा. रुपए का मूल्य लगातार गिर रहा है.लेकिन सरकार अपने कुछ चुनिंदा लोगों को लाभ पहुंचाने के कार्य में लगी हुई है. इसको लेकर भी सदन में सवाल किया
जाएगा.
लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि सरकार सत्र के दौरान कितने विधेयक या प्रस्ताव चर्चा के लिए लाने वाली है. इसकी कोई भी जानकारी विपक्ष के पास इस समय तक नहीं है. सरकार ने स्थाई समितियों में विधायकों को भेजना लगभग बंद कर दिया है. सरकार की ओर से पारदर्शिता को खत्म कर दिया गया है.इन सभी बातों पर सरकार से सदन के अंदर जवाब मांगा जाएगा.
कांग्रेस नेता शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि यह सरकार कितना डरी हुई है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि संसद सत्र से ठीक पहले संसदीय शब्दों को लेकर नई कहानी गढ़ दी गई है. लेकिन जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जानते हैं. वह इससे हैरान नहीं हुए होंगे. उन्होंने कहा कि जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे. उस समय वह नेता विपक्ष थे. उस समय उन्होंने यह सवाल किया था कि वाइब्रेंट गुजरात में किसको क्या लाभ दिया जा रहा है. यह किस तरह का करार है. उस समय बतौर मुख्यमंत्री मोदी ने इससे संबंधित कई शब्दों को
असंसदीय बना दिया था. असल में इस सरकार को यह पता लग गया है कि कई शब्द उसके साथ चिपक गए हैं. स्वयं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि चुनाव में कही गई हर बात पर अमल नहीं होता है. वह जुमला होता है. यह सभी जानते हैं कि सबसे अधिक जुमलाबाजी प्रधानमंत्री करते हैं. यह शब्द उनके साथ चिपक रहा है. यही वजह है कि उन्होंने जुमलाबाजी को भी असंसदीय करार दे दिया है. वह सभी शब्द जिससे सरकार , प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को विपक्ष घेर सकता है. उन सभी को असंसदीय करार दे दिया गया है. लेकिन हम सदन के अंदर और बाहर इन मुद्दों को उठाते रहेंगे. हम संसद के अंदर भी पहले से प्रचलित सभी शब्दों का उपयोग करते रहेंगे. हम देखना चाहते हैं कि यह सरकार विपक्ष की आवाज को कैसे दबाती है.