14 July 2022
संदीप जोशी, दिल्ली
संसद के दोनों सदनों में चलने वाली कार्यवाही के दौरान उसमें हिस्सा लेते हुए लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य जुमलाबाजी, तड़ीपार, शकुनी, कोविड स्प्रेडर, बहरी सरकार, तानाशाह, दादागिरी, अहंकार सहित कई प्रचलित शब्दों का उपयोग नहीं कर पाएंगे. संसदीय कार्यवाही के लिए घोषित असंसदीय शब्दों की सूची में इन सभी शब्दों को शामिल किया गया है. संसदीय कार्यवाही के दौरान इनके प्रयोग को अमर्यादित आचरण माना जाएगा. अगर कोई सदस्य इन शब्दों का इस्तेमाल करेगा तो उसे सदन की कार्यवाही का हिस्सा नहीं माना जाएगा. उसे रिकार्ड से हटा दिया जाएगा. असंसदीय शब्दों की इस नई सूची के सामने आने के बाद विपक्ष हमलावर हो गया है. उसने कहा है कि यह सरकार चाहती है कि सदन का हर सदस्य केवल वाह मोदी जी, वाह सरकार और वाह भाजपा का जाप करे. इन शब्दों का प्रयोग हमेशा होता रहा है. अगर इन शब्दों का प्रयोग नहीं किया गया तो सरकार को आईना दिखाने के लिए क्या वाक्य बोल जाएं. क्या वह भी सरकार ही बताएगी. कई सांसदों ने इसे सरकार का तुगलकी फरमान बताते हुए कहा है कि वे इन शब्दों का प्रयोग जारी रखेंगे. अगर सरकार चाहेगी तो उनको सदन की कार्यवाही से निलंबित कर सकती है. वहीं, भाजपा नेताओं ने कहा है कि संबंधित शब्द लोकसभा, राज्यसभा, विभिन्न विधानसभाओं और दुनिया की विभिन्न संसदों में असंसदीय करार दिए गए शब्दों का संकलन है. यह नियमित प्रक्रिया है. इसका संकलन लोकसभा सचिवालय करता है. विपक्ष केवल विरोध के लिए विरोध कर रहा है. कई ऐसे शब्द 2021 के असंसदीय शब्दों के संकलन में शामिल हैं. जो कांग्रेस शासित राज्यों की विधानसभा में भी प्रतिबंधित सूची में हैं.
ये शब्द असंसदीय माने गए
जुमलाजीवी, बाल बुद्धि, बहरी सरकार,उल्टा चोर कोतवाल को डांटे, उचक्के, अहंकार,अंट-शंट, अनपढ़, अनर्गल, अनार्किस्ट, उचक्के, चोर-चोर मौसेरे भाई, चौकड़ी, तड़ीपार,कांव-कांव करना, काला दिन, गुंडागर्दी, अक्षम, गुलछर्रा,तलवे चाटना, तानाशाह, दादागिरी, गुल खिलाना, गुंडों की सरकार, दोहरा चरित्र,बाल बुद्धि सांसद, शकुनी, जयचंद, लॉलीपॉप, चाण्डाल चौकड़ी, पिठ्ठू आदि शब्द को असंसदीय शब्द 2021 नाम से लोकसभा सचिवालय की ओर से संकलित पुस्तिका में शामिल किया गया है. इन सभी शब्दों को असंसदीय अभिव्यक्ति में शामिल किया गया है. संसद के मानसून सत्र से पहले यह पुस्तिका तैयार की गई है. जिससे सदन में कार्यवाही के दौरान सदस्य ऐसे शब्द का प्रयोग करने से बचे. जो असंसदीय करार दिए गए हैं.
विपक्ष हमलावर
असंसदीय शब्दों की सूची सामने आते ही विपक्ष इसको लेकर हमलावर हो गया है. उसने मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा है कि सरकार को आईना दिखाने वाले सभी शब्दों को असंसदीय करार देकर क्या यह सरकार सदन में केवल वाह मोदी जी,वाह सरकार, वाह भाजपा सुनना चाहती है. तृणमूल कांग्रेस ने संसद में इन शब्दों के इस्तेमाल को लेकर कहा कि यह एक गैग ऑर्डर है. इसका मजाक बनाते हुए उसने कहा कि अब मोदी सरकार की आलोचना करने वाले सभी शब्द असंसदीय कहलाएंगे. तृणमूल कांग्रेस की फायरब्रांड सांसद महुआ मोइत्रा और शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने इन शब्दों को लेकर सबसे करारा तंज कसा है. मोइत्रा ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है ‘बैठ जाएं. बैठ जाइये. प्रेम से बोलें. लोकसभा और राज्यसभा की नई असंसदीय शब्दों की सूची में संघी शब्द शामिल नहीं है. मूल रूप से सरकार ने विपक्ष द्वारा इस्तेमाल किए गए सभी शब्दों के इस्तेमाल को रोकने के लिए यह काम किया है. कैसे भाजपा भारत को नष्ट कर रही है. उन पर प्रतिबंध लगा रही है.’शिवसेना की राज्यसभा सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी ने पुराने मीम का जिक्र कर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि यह पुराना मीम याद आ गया. अगर करें तो करें क्या. बोलें तो बोलें क्या?. सिर्फ वाह मोदी जी वाह! यह मीम अब हकीकत सा लगता है!.
भाजपा ने कहा विरोध के लिए विरोध
भाजपा के एक नेता ने कहा कि विपक्ष के पास विरोध के लिए कोई मुददा नहीं है. यही वजह है कि वह गैर—मुददा को मुददा बना रही है. विपक्ष असंसदीय शब्दो को लेकर हंगामा कर रहा है. लेकिन यह हैरान करने वाला है. इसकी वजह यह है कि यह सूची हर वर्ष बनती है. विपक्ष ने विरोध से पहले तथ्यों की जानकारी हासिल नहीं की या जानबूझकर उससे अनजान बन रहे हैं. यह सूची किसी के सुझाव के आधार पर तैयार नहीं होती है. लोकसभा, राज्य सभा या राज्य विधानसभाओं में पहले से हटाए गए शब्दों का एक संकलन तैयार होता है. यह पुस्तिका केवल शब्दों का संकलन है. कोई सुझाव या आदेश नहीं है. जैसा प्रचारित किया जा रहा है. इसमें राष्ट्रमंडल देशों की संसदों में असंसदीय माने जाने वाले शब्दों की सूची भी शामिल है. पंजाब विधानसभा के बजट सत्र में लॉलीपॉप शब्द को बाहर कर दिया गया था.अंट-शंट शब्द को छत्तीसगढ़ विधानसभा से बाहर किया गया था.अनपढ़-अनर्गल शब्द को को राजस्थान विधानसभा में नहीं बोला जा सकता है. जिन शब्दों पर विपक्ष हंगामा कर रहा है. इनमें से अधिकांश शब्दों को यूपीए सरकार के दौरान भी असंसदीय माना जाता था.