18 July 2022
विनय कुमार, दिल्ली
मानसून सत्र के पहले दिन लोकसभा में सभी नव—निर्वाचित सदस्यों ने शपथ ग्रहण की. इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि उनके लिए यह महत्वपूर्ण दिन है. इसकी वजह यह है कि लोकसभा में अब कोई भी सीट रिक्त नहीं है. सभी सीट से सदस्य चुनकर सदन में आ गए हैं. जिन सदस्यों ने मानसून सत्र के पहले दिन शपथ ग्रहण की, उनमें मशहूर फिल्म अभिनेता और आसनसोल से चुनकर आए शत्रुघ्न सिन्हा, पंजाब के संगरूर संसदीय क्षेत्र से सिमरनजीत सिंह मान, उत्तर प्रदेश के रामपुर संसदीय क्षेत्र से घनश्याम सिंह लोधी, आजमगढ़ संसदीय क्षेत्र से दिनेश लाल यादव निरहुआ शामिल थे. शपथ लेने से पहले शत्रुघ्न सिन्हा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर देखते हुए उनका अभिवादन किया. इसके जवाब में उन्होंने भी हाथ जोड़ते हुए उनके अभिवादन का जवाब दिया. शपथ लेने के दौरान शत्रुघ्न सिन्हा जय हिंद—जय बांग्ला बोलते हुए भी नजर आएं.
शत्रुघ्न सिन्हा जब शपथ लेने के लिए खड़े हुए तो टीएमसी सहित अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने भी उनका अभिवादन किया. मेज थपथपाकर उनका स्वागत भी किया. पश्चिम बंगाल के आसनसोल से सांसद चुने गए शत्रुघ्न सिन्हा पहले भाजपा के सदस्य थे. लोकसभा चुनाव में वह कांग्रेस के टिकट पर पटना साहिब सीट से चुनाव लड़े थे. उनका मुकाबला तत्कालीन केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद से हुआ था. जिसमें वह हार गए थे. केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद से वह भाजपा में हाशिये पर चले गए थे. जिसकी वजह से उन्होंने भाजपा से इस्तीफा देकर कांग्रेस और उसके बाद तृणमूल कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली थी. तृणमूल कांग्रेस ने उनको आसनसोल संसदीय क्षेत्र से उप—चुनाव में उतारा था. यह सीट बाबुल सुप्रियो के इस्तीफा देने से खाली हुई थी. रोचक यह है कि बाबुल सुप्रियो भी पहले भाजपा में थे. जब उनको मोदी सरकार 2.0 में मंत्री नहीं बनाया गया तो वह टीएमसी में शामिल हो गए. जिसने उनको विधानसभा का चुनाव लड़ाया. जिसमें उनकी जीत भी हुई. वहीं, उनकी खाली की गई सीट से शत्रुघ्न सिन्हा बड़े अंतर से जीते.
अपनी संवाद अदायगी के लिए ख्याति प्राप्त शत्रुघ्न सिन्हा को लेकर यह माना जा रहा है कि वह आने वाले समय में सदन के अंदर मोदी सरकार को अपनी विशेष भाषण शैली से परेशान करेंगे. भाजपा में रहने के दौरान ही उन्होंने भाजपा और उसके नेतृत्व पर सवाल उठाने शुरू कर दिए थे. उन्होंने यह भी कहा था कि वह भाजपा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह से वरिष्ठ हैं. ऐसे में वह उनके रहमोकरम पर रहने की जगह स्वतंत्र रहना पसंद करेंगे. शत्रुघ्न सिन्हा की ही पार्टी से संबंध रखने वाले यशवंत सिन्हा संयुक्त विपक्ष के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हैं. वह भी पहले भाजपा में थे. लेकिन केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद से वह पार्टी में अपने को उपेक्षित महसूस करने लगे थे.