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विनय कुमार, दिल्ली
12 मई 2022

जेल में बंद सपा नेता आजम खान के समर्थन में बसपा सुप्रीमों मायावती ने एक टवीट किया है. इसमें उन्होंने कहा है कि उनको दो साल से जेल में बंद रखना न्याय का गला घोंटने की तरह है. मायावती ने एक के बाद एक तीन टवीट कर भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधा. हालांकि मायावती ने भाजपा सरकार पर हमला किया है.  लेकिन सपा के नेताओं का मानना है कि उनके टवीट में जो नजर आता है. उनके टवीट का लक्ष्य इसके विपरीत है. सपा नेताओं का मानना है कि मायावती यह प्रयास कर रही हैं कि आजम खान के बहाने वह मुसलमानों को सपा से दूर कर पाएं. इसमें उनको परोक्ष रूप से भाजपा का समर्थन मिल रहा है. इन दिनों आजम खान के परिजन और समर्थक सपा से नाराज हैं. उनका कहना है कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने उनको जेल से छुड़ाने के लिए केाई भी बड़ा आंदोलन नहीं चलाया. जबकि आजम खान ने सपा को खड़ा करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ पार्टी को दिया है.

मायावती ने अपने एक के बाद एक टवीट में भाजपा सरकार की ओर से विभ्न्नि राज्यों में चलाए जा रहे बुलडोजर अभियान को गरीब, प्रवासी, मजदूर विरोधी करार दिया. उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा भी कांग्रेस की तरह ही गरीबों, दलितों, आदिवासियों, मुस्लिमों पर जुल्म कर रही है. उन्होंने कहा कि इसका प्रमाण आजम खान जैसे वरिष्ठ नेता को दो साल से जेल में रखना है. यह लोगों को न्याय का गला घोंटने जैसा लग रहा है. उनके इन टवीट से उप्र सहित दिल्ली की राजनीति में भी नया समीकरण बनने की संभावना बढ़ गई है. लेकिन रोचक यह है कि सपा ने उनके इस टवीट को भाजपा की शह पर किया गया कार्य करार दिया है. सपा का कहना है कि टवीट में जो दिख रहा है. उस तरह की बात नहीं है. यह सपा के साथ मजबूती से खड़े मुसिल्म समाज को बांटने की रणनीति है. जिसमें बसपा केंद्र की भाजपा सरकार का मोहरा बन रही है.

सपा के एक नेता ने कहा कि मुसलिमों को अपनी हार की वजह बताने वाली मायावती आखिर इतनी मुसलिम हितैषी कैसे हो गईं. वह खुले तौर पर आजम खान का विरोध करती रही हैं. ऐसे में रातों—रात उनका हृदय परिवर्तन कैसे हो गया. इसकी दो वजह है. एक, वह केंद्रीय एजेंसियों के डर से भाजपा के खिलाफ  नहीं जाना चाहती हैं. दो, बसपा सुप्रीमों के इन टवीट के पीछे भाजपा की रणनीति है. जो नहीं चाहती है कि मुसलिम समाज सपा के साथ रहे. वह चाहती है कि इसमें टूट—फूट हो. जिससे सपा कमजोर हो और भाजपा को और अधिक मजबूत बनने का अवसर हासिल हो. हालांकि मायावती के टवीट पर आजम खान के परिवार की ओर से कोई बयान नहीं आया है. लेकिन यह माना जा रहा है कि मायावती ने सही समय पर यह टवीट किया है. इससे मुसलिम वर्ग में उनको अपनी पार्टी की बढ़त बनाने में सहायता मिल सकती है. एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि यह देखना रोचक होगा कि टवीट के बाद क्या मायावती जेल में आजम खान से मिलने जाती हैं. उससे उप्र की राजनीति के नए समीकरण स्पष्ट हो सकते हैं.

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